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________________ ५५० भगवतीसूत्रे हे भदन्त ! कति खलु अनुत्तरविमानाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह-'गोयमा ! पंच अणुतानिमाणा पण्णता' हे गौतम ! पञ्च अनुत्तरविमानाः प्रज्ञप्ताः, गौतमः पृच्छति- ते णं भंते ! कि संखेज्जवित्थडा, असंखेन्जवित्थडा?' हे भदन्त ! ते खलु पश्चातरविमानाः किं संख्येयविस्तृताः सन्ति ?. किं वा असंख्येयविस्तृताः सन्ति ? अगवानाह--'गोयमा ! संखेजवित्थडे य, असंखेज्जवित्यडा य हे गौतम ! पश्चानुत्तरविमाने एका संख्येयविस्तृतश्च अस्ति, अन्ये असंख्येयविस्तृताश्च सन्ति तत्र मध्यमः संख्यातविस्तृतो वर्तते योजनलमप्रमाणत्वात् गौतमः पृच्छति__ अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं 'कई णं भंते ! अणुत्तरवि माणा पणत्ता' हे भइन्त । अनुत्तर विमान किनने कहे गये हैं ? इसके • उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ! पंच अणुत्तरविमाणा. पण्णता' हे गौतम | अनुत्तरविमान पांच कहे गये हैं। अब गौतमस्यामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'ते णं भंते ! कि संखेज्जवित्थडा, असंखेज्जविस्थड' हे भदन्त ! थे पांच अनुतरविमान संख्यात योजन विस्तारवाले हैं, या असंख्यालयोजन विस्तारवाले हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं'गोधमा । संखेन्जविस्थडे य असंखेज्जवित्थडा य' हे गौतम ! ये पांच अनुत्तर विमानो में से एक अनुत्तरविमान संख्यालयोजन विस्तार वाला है और शेष असंख्यातयोजन विस्तारवाले हैं। अर्थात् इनमें जो मध्यम विमान है वह एक लाख योजन प्रमाण होने से संख्यातयोजनप्रमाणवाला कहा गया है। अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐप्ता गौतम साभाना प्रश्न-" कइ णं भंते! अणुत्तरविमाणा पण्णता?" 3 ભગવદ્ ! અનુત્તર વિમાને કેટલાં કહ્યાં છે? महावीर प्रभुना उत्त२-"पंच अणुत्तर विमाणा पण्णत्ता" गीत! અનુત્તર વિમાને પાંચ કહ્યાં છે? गौतम स्वाभाना प्रश्न-" ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा, असंखेज्जवि. त्यडा" मगवन् ! ते पांय अनुत्तर विमान सभ्यात योनना विस्तार. पाणां छे, अस यात योजना विस्तारमा छे ? भई पीर प्रभुना उत्त२-"गोयमा! संखेज्जवित्थडे य, असंखेज्जवित्थडा य" गौतम! पांय अनुत्तर विमानभानु मे अनुत्तर विमान सात જનના વિસ્તારવાળું છે અને બાકીના ચાર અસંખ્યાત એજનના વિસ્તારવાળાં છે. એટલે કે તેમાં જે મધ્યમ વિમાન છે તે એક લાખ રોજનના વિસ્તારવાળું હોવાથી તેને સંખ્યાત જનના વિસ્તારવા કહ્યું છે.
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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