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________________ भगवती सूत्रे ३२ अथ च एकतः - अपरभागे चतुष्मदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा दो तिप्पएसिया खंधा भवंति ' अथवा द्वौ त्रिपदेशिको स्कन्धौ भवत', 'तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपला, एगो चउप्परसिए खंधे भवई' पद्मदेशिकः स्कन्धः त्रिधा क्रियमाणः एकः - एकमागे द्वौ परमाणुपुद्गौ भवतः एकताः - अपरभागे चतुप्रदेशिक स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुष्पपसिए खंधे, पगयओ तिप्पएसिए खंधे भव' अथवा एकत: - एकभागे परमाणुपुद्गलः, एकत: - अपरभागे द्विप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः - अन्यभागे त्रिमदेशिकः स्कन्धो - खंधे भवइ ' अथवा इम प्रकार से भी इसके दो विभाग हो सकते हैं अर्थात् एक विभाग दो प्रदेशिक रध रूप होता है और दूसराविभाग चार प्रदेशिक स्कंधरूप होता है । ' अहवा दो तियपएसिया खंधा भवंति' अधा एक भाग में प्रदेशिक स्कन्ध और दूसरे भाग में भी त्रिप्रदे शिक स्कंध ऐसे ये त्रिप्रदेशिक दो कंवरूप विभाग भी इसके हो सकते हैं । 'तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणु पोग्गला एगयओ चप्पएसिए खंधे भवइ' जब यह वह प्रदेशिक स्कंध तीन विभागों में विभक्त किया जाता है तब एक भाग में दो पुद्गलपरमाणु रहते हैं, और दूसरे विभाग में चतुष्प्रदेशिक एक स्कंध रहता है कहने का तात्पर्य ऐसा है कि एक एक पुलपरमाणुरूप दो विभाग और चतुष्प्रदेशिक स्कंध रूप एक विभाग- ऐसे ये तीन खण्डरूपविभाग षट् पुद्गलपरमाणुओं के मेल से जन्य इस षट् प्रदेशात्मक स्कंध के हो सकते हैं अहवा - एगपओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ ' अथव-एक भाग में एक परमाणुपुद्गल द्वितीयो चप्प खं भवइ " मे अहेशि २४६ ३५ भे! भाग भने भार अदेशिए २४६३५ जीले भाग पशु संभवी राडे छे. अहवा-दो तिप्पएसिया खंधा भवंति " अथवा - त्रिदेशिः सुध ३५ मे भाग भने छे भने जीले ભાગ પણ ત્રિપ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ જ બને છે 6 खंधे " तिहा कम्प्रमाणे एगयओ दो परमाणुपोगला, एगयो पउप्पएसिए भवइ "" જ્યારે આ છ પ્રદેશિક સ્કંધને ત્રણ વિભાગેામાં વિભક્ત કરવામાં આવે છે, ત્યારે એક પુદ્ગલપરમાણુ રૂપ એક વિભાગ, એક પુદ્ગલપરમાણુ રૂપ ખીન્ને વિભાગ અને ચારપ્રદેશિક ધ રૂપ ત્રીજો વિભાગ થઈ ब्लय छे. " अजा- एगयो परमाणुपोगके, एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ तिप्पएसिए खंबे भवइ” भ्मथवा मे परमायु युगल ३४ भाग, द्विप.
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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