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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १३ उ० १ सू० १ पृथिव्यादिनिरूपणम् ४५३ ज्जति १९१ केवइया मेहुणसन्नोवउत्ता उववज्जंति २०१ केवइया परिग्गहसन्नोवउत्ता उववज्जति २९१ केवइया इत्थी बेयगा उववजंति२२ ? केवइया पुरिसवेयगा उववज्जंति२३ ? 'केवइया नपुंसगवेयगा उववज्जंति२४ ? केवइया कोहकसाई उववजंति२८ ? जाव केवइया लोभकसाई उववज्जंति२६१ केवइया सोइंदियउवउत्ता उववज्जंति२९ ? जाव केवइया फासिंदि - योवउत्ता उववति३३ ? केवइया नोइंदियोवउत्ता उववजंति३४ ? केवइया मणजोगी उववज्जंति३५१ केवइया वइजोगी नवज्जति३६१ केवइया कायजोगी उववज्जंति३७ ? केवइया सागारोव उत्ता उववज्र्ज्जति३८१ केवइया अणागारोवउत्ता, उववजति३९१ गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नेरइएसु जहणेणं एक्कोवा दोवा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उववज्जंति, जहपणेणं एक्को वा, दो वा, तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा काउलेस्सा उववज्जंति, जहणेणं एक्को को दो वा, तिन्नि वा, उक्को सेणं संखेज्जा कण्हपक्खिया उववजंति, एवं सुक्कपक्खिया वि, एवं सन्नी, एवं असन्नी वि, एवं भवसिद्धिया, एवं अभवसिद्धिया, आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मइ अन्नाणी, सुयअन्नाणी, विभंगनाणी, चक्खुदंसणी ण उवव जंति, ति, जहण्णं एको वा, दो वा, तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेउजा अचक्बुदंसणी उववज्जंति, एवं ओहिंदंसणी वि, आहारसन्नोवउत्ता वि जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता उववजंति, इत्थी वेगा न उववज्जंति, पुरिसवेयगा वि न उववज्जंति, जहण्णेणं ·
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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