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________________ भगवतीसूत्र टीका-वर्णादि प्रस्तावात् जीवस्य व्युत्क्रमणकाले वर्णादिपरिणाम प्ररूपयितुमाह-'जीवे णं भंते' इत्यादि, 'जीवे णं भंते ! गम्भं चक्कममाणे कइवन्नं, का. गंध, कइरसं, कइफासं परिणामं परिणमइ ? गौतमः पृच्छति-हे भदन्त ! जीवः खलु गर्भ व्युत्क्रामन् गर्भ उत्पन्नद्यमानः गर्भोत्पत्तिकाले इत्यर्थः, कतिवर्ण, कति. गंध, कतिरसं, कतिस्पर्श परिणामं परिणमति-कतिवर्णादिना रूपेण परिणमतीतिभावः। भगवानाह-'गोयमा! पंचवन्नं दुगंध पंचरसं अट्ठफासं परिणामं परिणमइ' हे गौतम ! जीवः गर्भव्युत्क्रमणकाले, पञ्चवर्ण द्विगन्धम् , पञ्चरसम् अष्ट जीवपरिणामवक्तव्यता'जीवे णं भंते ! गम्भ वक्कममोणे' इत्यादि। टीकार्थ-वर्णादि के प्रस्ताव को लेकर सूत्रकार ने इस सूत्र द्वारा जीव के व्युत्क्रमण काल में उसके वर्णादि की प्ररूपणा की है। इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-हे भदन्त ! जीव जब गर्भ में आने लगता है तब गर्भोत्पत्तिकाल में वह कितने वर्णादिरूप से वह परिणाम को प्राप्त होता है ? अर्थात् उस समय वह जीव कितने वर्णवाला, कितने गंधवाला, कितने रसवाला और कितने स्पर्शवाला होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम ! 'पंचवन्नं, दुगंध, पंचरसं, अट्ठफासं परिणमइ' जीव जप गर्भ में आने लगता है तब वह उस काल में पांच वर्णवाला, दो गंधवाला, पांच रसवाला और आठ -परिणामनी 4zतव्यता"जीवे णं भंते ! गभं वक्कममाणे" त्याल ટીકાઈ—આ સૂત્ર દ્વારા સૂત્રકારે જીવના વ્યુત્ક્રમણ કાળમાં તેનાવણુદિની નીચે પ્રમાણે પ્રરૂપણ કરી છે गौतम स्वामीना प्रश्न-" जीवे णं भंते ! गम्भं वक्कममाणे कइवन्नं, कहगंध, का रस, कइफासं परिणाम परिणमइ ?" भगवन् ! न्यारे 4 भां "આવે છે, ત્યારે એટલે કે ગર્ભોત્પત્તિકાળમાં–જીવ કેટલાં વર્ણાદિ રૂપ પરિ મને પ્રાપ્ત કરે છે એટલે કે જીવ જ્યારે ગર્ભમાં આવે છે, ત્યારે કેટલાં વર્ણવાળા હોય છે? કેટલા ગંધવાળું હોય છે? કેટલા રસવાળા હોય છે? કેટલા સ્પર્શવાળ હોય છે? महावीर प्रभुना लत्त२-"गोयमा!" गौतम! मयुरन्त ७१ "पंचवन्नं, दुगंध, पंचरसं, अट्टफासं परिणमइ" पांय पवागी, मे पाया, પાંચ રસવાળો અને આઠ સ્પર્શવાળ હોય છે, કારણ કે ગર્ભયુત્ક્રમણ
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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