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________________ ५ 973 भगवती सूत्रे द्वादशं शतकं प्रारभ्यते' 12 dj #11: ! द्वादशशत के मथम) देशकस्य, संक्षिप्तविपयवर्णनम् ॥17 तीसरी वर्णनम्, श्रममुखश्रमणोपासनस्य उत्पा भार्याया वर्णनंच, ततः पुष्कलिश्रमणोपासकस्य वर्णनम', 'महस्य विचारस्वरूप प्रतिपादनम् - यथा - अशनाद्याहारापेक्षया पाक्षिकंपौपधग्रहणं ममश्रेयस्करमिति । भोजनाशश्रमणोपासकस्याहानं समुचितमिति 'विचारणम् । 'पूर्वकेलिः शत्र' श्रम का 12,10 -लि गोपासकम् अर्हति गच्छतीतिरूपणम्, अ अशनादिकस्य आस्वादनापेक्षया पौषधस्य पाक्षिकीपत्रासस्य पालन मम श्रेयस्करमिति" इति शहस्य पुष्कलि प्रतिप्रत्युत्तरम्। ततः शङ्खस्त्र महावीरस्वामिवन्दनार्थ विचारकरणम् । ततः शङ्खस्य igini b 10 बारहवे शतक के पहले उद्देशे का. प्रारंभ-12-11-878 इस बारहवें शतक के प्रथम प्रदेश का विषद्यविवरण संक्षेप से इस प्रकार है- श्रावस्ती नगरीका वर्णन - शंखप्रमुख श्रमणोपासकों का वर्णन, शंख की उत्पला भार्या का वर्णन, इसके बाद पुष्कलि श्रमणोपासक का वर्णन, शंख' के विचारों का वर्णन जैसे अशन आदि आहारकी अपेक्षा पाक्षिक पौषधग्रहण मुझे श्रेयस्कर है। भोजन के लिये शख श्रमवास को बुलाना उचित है क्या? ऐसा विचार पुष्कलिका शंख श्रमणोपासक के लिये बुलाने को जाना " अशन आदि के आस्वादन की अपेक्षा पौषधोपचास का पालना मुझे 'थेयस्कर है" इस प्रकार से शंख का मुष्कलिः को- उत्तर देना इसके बाद शंख का महावीर स्वामी के पास छ SPLI 5/-LT= C Y ખારમાં શતકના પહેલા ઉદ્દેશાના પ્રારંભ 17 THES ARE POF THE T ડાર્મા બોરમાં શતકમાં પ્રતિપાદિત વિષયનું સક્ષમ વિત્તરણ પ્રમાણે वितान નગરીનું વર્ણન શ ખાદિ ઉત્પલા ગામની ભાયોનું पहला अध्य श्रावभिनु पशु, शनीची ન પુષ્કલિ નામના શ્રાવકનુ વર્ણન શાના વિચારે વન-અર્શીન, પાને અતિ ચતુવિધ આહાર લેવા કરતાં પાક્ષિક પૌષધ થત સથેજિક ધાર છે. મેં પ્લાનને માટે શખ શ્રમણાપાસકને ખેલાવવા म " श्वेते-अधिस नहीं? वा "श्रावनी" "यर्या, पुण्डलि नामना श्रावકનુ' શ'ખને લાવવા ખતુવર્ણને શંખના પુષ્કલિને આ પ્રકારના ઉત્તર અશન આદિના આસ્વાદન કરતાં મને પૌષધેાપવાસનુ પાલન વધારે
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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