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________________ ६० भगवतीने 9 " अष्टौ अष्टौ पानीयधारिणी :- जलपाययित्रीः, 'अ वलिकारीओ अट्ठ सेज्जाकारीओ' कारिणीः, वायसदिभ्योऽन्नदात्रीः, अष्टौ शय्याकारिणीः 'थट्ठ अि तरिवाओ पडिहारीओ' अष्टौ आम्यन्तरिकी:- परिहारिकाः, 'अट बाहिरियाओं पडिहारीओ' अष्टौ वाह्याः वहिर्वर्तिनीः प्रतिहारिकाः, 'अट्ट मालाकारीओ, पेसणारी ओ' अष्टौ मालाकारिणीः, अष्टौ गोधूमादिपेषणकारिणी एतानि सर्वाणि वस्तूनि महाबलाय विवाहमसङ्गे दत्तः तथा 'अन्नं वा, सुबहु दिरन्नं वा, सुवणं स्थित ढंग से रखने वाली दासियां दीं, और आठ पानी की सुन्दर व्यव स्था करके उसे साफ स्वच्छदशा में रखने वाली एवं पानी पिलाने वाली दासियां दीं. 'अट्ठ बलिकारीओ अट्ठ सेज्जाकारीओ' आठ वायस काक आदिकों के लिये अन्न का विभाग करके देने वाली दासियां दीं, और आठ विस्तरों को बिछाना और उन्हें बाद में उठा कर व्यवस्थित ढंग से रखना इस काम में निपुण दासियां दीं, ' अट्ठ अभितरियाओ पडिहारीओ अट्ट बाहिरियाओ पडिहारीआ ' आठ ऐसी दासियां दीं, जो अतःपुर के भीतर प्रतिहारिणी का काम करने में निपुण थीं और, आठ ऐसी दासियां दीं जो अन्तःपुर के बाहिर में प्रतिहारिणी का काम करने में निपुण थीं ' अ मालाकारीओ, अट्ठ पेसणकारीओ ' आठ दासियों ऐसी दीं, जो माला गूथने में निष्णात थीं, और आठ दासीय ' ऐसी दीं जो गेहुँ आदि को पीसकर उसका शुद्ध आटा तैयार करती थीं- ये सब वस्तुएँ महाचल के विवाह प्रसंग पर दी गई । तथा- 'अन्नं , ध्यान रामनार तथा पाणी पिवशवनारी आई हासीमा हीथी, "अट्ठ बलिकारीओ, अट्ठ सेज्जाकारीओ " वायस-झगडा महिने भाटे अन्ननो भाग विलाग કરવા રૂપ અલિક કરનારી આઠ દાસીએ દીધી અને શય્યાને વ્યવસ્થિત રીને બિછાવનારી અને તેને ઉપાડી લઈને વ્યવસ્થિત રીતે મૂકી રાખવાના अभभां निपुणु सेवी स्मार्ट द्वाभीओ हीथी. " अट्ठ अभितरियाओ पडिहारीओ, अट्ट बाहिरियाओ परिहारीओ " अतःपुरनी शहर प्रतिहारिणी तरी अभ કરવામાં નિપુણ એવી આઠ દાસીએ દીધી અને અંતઃપુરની બહાર પ્રતિહાरिली तरी आश्रम ४२वामां निपुणु मेवी गाठ हांसीओ हीधी, " अड्डे मालाकारीओ अड्ड पेसणकारीओ " भाजा गूथवाना असमां नियुयु भेवी मा દાસીએ દીધી અને ઘઉં આદિને દળીને લાટ ખનાવવાના કામમાં નિપુણ એવી આઠ દાસીએ દીધી. ઉપર્યુક્ત બધી વસ્તુએ મહાખલ કુમારના વિવાહ अस'गें मसरान्न'तरक्ष्थी तेने लेट आपवामां मोवी तथा " भन्ने वा सुबह
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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