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________________ - - भगवतीस्त्रे अवनतासनानि, दीर्घासनानि, भद्रासनानि, पक्षासनानि-पक्षाकारोपलक्षितानि आसनानि, मकरासनानि-मकराकारोपलक्षितानि आसनानि, 'अट्ट पउमासणाई, अट्ट दिसासोवत्थियासणाई' अष्टौ पद्मासनानि-पद्माकारोपकक्षितानि, अष्टौ दिक्स्वस्तिकासनानि-दिक्स्वस्तिकाकारोपलक्षितानि आसनानि, 'अट्ट तेल समुग्गे, जहा रायपसेणइज्जे जाव अट्ट सरिसदसमुग्गे' अष्टौ तैलसमुद्गकानितैलपात्राणि, यथा राजप्रश्नीये प्रतिपादितानि, तथैवात्रापि मतिपत्तव्यानि, यावत्, अष्टौ सर्षपसमुद्कानि-सर्पपपात्राणि, 'अट्ठ खुज्जाओ जहा उबनाइए जाव अट्ठ पने हुए उन्नतासन -कुर्सी के नुमा-शासन दिये आठ ही सोने के घने हुए अवनतासन-जमीन से थोड़ेले ऊचे रहने वाले आसन दिये आठ ही सोने के बने हुए दीर्घासन-पड़े २ आसन दिये आठ ही सोने के बने हुए भद्रासन दिये आठ ही सोने के बने हुए पक्ष-पांख के आकार जैसे आसन दिये आठ ही सोने के बने हुए मकरासन-मकर के आकार जैसे आसन दिये 'अट्ठ पउमासणाई, अट्ट दिसासोपस्थियासणाई' आठ ही पन के जैसे आकार वाले सोने के पश्मासन दिये आठ ही दिस्वस्तिकासन दिये 'अट्ट तेल्लसमुग्गे, जहा रायप्पसेणइज्जे जाव अंसरिसवसमुग्गे' आठ ही सोने के बने हुए तेल रखने के डिब्बे दिये जैसा रामप्रश्नीयसूत्र में कहा गया है वैसा ही यहां पर फहना चाहिये थावत्-आठ ही सोने के सरसों रखने के दिवे दिये-'अठखुज्जाओ, जहा उववाहए जाव अट्ट पारिसीमो' आठ कुपडी दासियों दी સુવનિર્મિત આઠ આસને, સુવર્ણનિર્મિત આઠ ઉન્નતાને (ખુરશીઓ) અને સુવર્ણનિર્મિત આઠ અવનતાને (જમીનથી સહેજ ઊંચે રહે એવાં આસને), આઠ સુવર્ણનિમિત દીર્વાસને અને આઠ સુવર્ણનિમિત ભદ્રાસને (સુખાસનો) દીધાં આઠ સુવર્ણનિર્મિત પક્ષકાર પાંખના આકારનાં) આસને દીધાં, આઠ સુવર્ણનિર્મિત મકરાસન (મગરનાં આકારનાં આસન) કીધાં, " भट्ठ परमासणाई, अट्ठ दिसाम्रोवस्थियारणाई" 48 सानानां पास। (पमा ४२i मासन) हीui मन मा स्वस्तिनीयi. "अट्र तेल्लममुग्गे, जहा रायपसेणइज्जे जाव भटु सरिसवसमुग्गे" सोनाना मना વેલા તેલ ભરવાના આઠ ડબ્બા દીધા, રાજપ્રમીયસૂત્રમાં કહ્યા અનુસાર સરસવ ભરવાના સેનાના આઠ ડબ્બા લિધા,” આ કથન પર્યન્તનું સમસ્ત ४५न मडी अड ४२ लाये. "म खुजाभो, जहा उववाइए जाव भट्ट
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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