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________________ भगवतीले तत् खलु वयं देवानुप्रियाणां प्रियार्थतायै-मीत्यर्थम् , प्रिय-पुत्रजन्मरूपं निवेदयामः-सूचयामः एतच्च प्रियनिवेदनम् मियं भवतां भवतु अन्यद्वा राज्यलक्ष्म्यादि वृद्धिरूप पियं शुभं भवतु 'तएणं से वले राया अंगपडियारियाणं अंतिए एयमट्ट सोच्चा निसम्म हटतुट्ट जाव धाराहयणीव जाव रोमकूवे तासि अंगपरियारियाणं मउडवजं जहामालियं ओमोय दलयइ' ततः खलु स बलो राजा अङ्गपरिचारिकाणाम् अन्तिके-समीपे एतमर्थ-पूर्वोक्तार्थम् श्रुत्वा, निशम्य-हृदि अवधार्य हृष्टतुष्टो यावत्-हर्षवंशविसर्पहृदयो धाराहनीप यावत् सरभिकुममचञ्चुमालयिततनुकोच्छ्वसित-रोमकूपः, ताभ्यः अङ्गपरिचारिकाभ्यः मुकुटवर्ज-मुकुटं विहाय, तस्य राजचिह्नत्वात् , यथामालितं-यथा परिहितम् , अवमोरम्-अवमुच्यते-परिआप की प्रसन्नता बढ़ाने के लिये-प्रीति के लिये-पुत्रजन्म होने के समाचार का निवेदन करने आई हैं-यह पुत्रजन्मरूप प्रिय निवेदन आप को शुभकारी हो अथवा-राजलक्ष्मी आदि का वृद्धिरूप हो. 'तएणं से बले रोया अंगपरियारियाणं अंतिए एयमह सोच्चा निस्सम्म हट्ठतुह जाव धाराह्यणीव जाव रोमकूवे तासिं अंगपरियारियाणं मउडवज जहामालियं ओमोयं दलयइ' घलराजा ने इस प्रकार का समाचार जव उन अङ्गपरिचारिकाओं के मुख से सुना तब वह हर्ष के मारे फूला नहीं समाया उसके चित्तमें संतोष भरगया और उसका शरीर वेगवती वृष्टि से आहत हुए नीप-कदम्ब पुष्प की तरह रोमराजि से व्याप्त हो गया. उसी समय उसने राजचिह्न होने के कारण मुकुट को छोड़જન્મ આપે છે. આ ખુશાલીના સમાચાર આપને આપવા માટે અમે આપની પાસે આવ્યાં છીએ. આ પુત્ર જન્મ આપને માટે શુભકારી છે અથવા २४९भी माहिनी वृद्धि३५ ३. "तएणं से बले राया अंगपरियारियाण अतिए एयम? सोच्चा निसम्म हद्वतुट्ठ जाव धाराहयणीव जाव रोमकूवे तासिं अंगपरियारियाण मउडवज जहामालिय ओमोय दल यइ" २०ीनी मगपरि. ચારિકાઓના મુખે આ ખુશાલીના સમાચાર સાંભળીને તેના હર્ષનો પાર ન રહ્યો. તેને અત્યંત સંતોષ થયે વરસાદની વેગવતી ધારાથી જેમ કદમ્બ પુષ્પ વિકસિત થાય છે તેમ બલરાજાની રોમરાજિ પણ આન દના અતિરેકને લીધે ખડી થઈ ગઈ–તેણે રોમાંચ અનુભવ્યું. એજ સમયે તેણે તે પરિચારિકાઓને પિતાના મુગુટ સિવાયના સઘળાં આભૂષણે બક્ષિસ આપી દીધાં.
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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