SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 509
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ११ उ० ११ १० ४ सुदर्शनचरितनिरूपण ४८७ पल्योपमसागरोपमयोः क्षयादिकं तस्यैव सुदर्शनस्य चरितेन प्ररूपयन्नाह-एवं खलु सुदंसणा ! तेणं कालेणं, तेणं समएणं हथिणापुरे नामं नयरे होत्था, वण्णभो' हे सुदर्शन ! एवं खलु तस्मिन् काले, तस्मिन् समये हस्तिनापुरं नाम नगरम् , आसीत्, वर्ण का, अस्य वर्णन चम्पानगरीवर्णनवदवसेयम् , ' सहसंबवणे उजाणे, वण्णओ' सहस्राम्रवनं नाम उधानमासीत् , वर्णकः अस्यापि वर्णनं पूर्णभद्रचैत्यवर्णन. वद् विज्ञेयम्, 'तत्थ णं हथिणापुरे नयरे गले नाम राया होत्था, वण्णभो' तत्र खलु हस्तिनापुरे नगरे वलो नाम राजा आसीत् , वर्णकः, अस्यापि वर्णनम् औपपातिक सूत्रगतैकादशतमसूत्रवर्णितकूणिकराजवर्णनवद् विज्ञेयस्। 'तस्स णं बलरस रण्णो पभावई नामं देवी होत्था, सृकुमालपाणिपाया, वण्गओ, जाव विहरइ' होता है ? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिये प्रभु अब यहां से उन्हीं सुदर्शन सेठ के चरित्र का निरूपण करते हैं कि-' एवं खलु प्लुदंसणा! तेण कालेण, तेणं सम एणं हरिक्षणापुरे नामं नयरे होत्था, वणओ' हे सुदर्शन ! उस काल में और उस समय में हस्तिनापुर नाम का नगर था इसका वर्णन जैसा औपपातिक सूत्र में चंपानगरी का वर्णन आया है वैसा ही जानना चाहिये 'सहसंषरणे उज्जाणे' उस हस्तिनापुर नगर में सहस्राम्रवन नाम का उधान था 'बण्णओ' इसका भी वर्णन पूर्णभद्र चैत्य के जैसा जानना चाहिये ! 'तत्य हस्थियापुरे नयरे घले नाम राया होत्था' उस हस्तिनापुर नगर में घलनाम का राजा था इसका भी वर्णन औपपातिक सूत्र के ११ वे सूत्र में वर्णित कणिक राजा के वर्णन के समान से जानना चाहिये। तस्स ण बलस्स रणो આ પ્રશ્નના ઉત્તરનું પ્રતિપાદન કરવા નિમિત્તે સૂત્રકાર અહી એજ सुशन 80 यरित्र नि३५ रे -" एवं खलु सुदसणा । वेण कालेग', तेण समएणं हत्यिणापुरे नाम नयरे होत्था षण्णओ" के सुशान ! तेणे અને તે સમયે હસ્તિનાપુર નામે નગર હતું. ઔપપાતિક સૂત્રમાં જેવું ચંપા નગરીનું વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે, એવું જ હસ્તિનાપુરનું વર્ણન સમજવું. "सहसंयवणे उज्जाणे" ते हस्तिनापुर नगरमा सहसान नामना Gधान तो “षण्णओ" तेनु वन पूर्णभद्र सत्यना पन प्रभारी सभा. “ तत्थ णं हथिणापुरे नयरे घले नाम राया होत्था" ते हस्तिनापुर નગરમાં બલ નામને રાજા હતા. ઔપપાતિક સૂત્રમાં જેવું કૃણિક રાજાનું वन ४२पामा माव्युछे, मेषु मी RA RIMनु प न समाय. "तस्स णं बलस्स रण्णो पभावई नाम देवी होत्था " मतने प्रभावती नामनी
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy