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________________ trafer टीका ० ११ उ० १० सू० १ लोकस्वरूपनिरूपणम् ३६५ स्तिर्यग्लोकः, तथा ऊर्ध्वम् शुभः परिणामो द्रव्याणां बाहुल्येन यत्रासौ ऊर्ध्वलोकः, तथा चोक्तम्- 'अह अहो परिणामो खेत्ताणुभावेण जेण ओसण्णं । अहो अहोत्ति भणिभ दव्वाणं तेणाsहोलोगो ॥ १ ॥ छाया - अथवा अधः परिणामः क्षेत्रानुभावेन प्रायशः । शुभः अध इति भणितः द्रव्याणां तेनाधोलोकः ॥ इत्यादि, एवं तिर्यगूर्ध्वलोकविषयेऽपि विज्ञेयम् । तमेव पञ्चदशविधम् ऊर्ध्वलोकक्षेत्रलोकं प्रतिपादयति- 'तं नद्दा- सोहम्म कम्पउड़ लोगखेत्तलोए, जाव अच्चुयउडूलोयखेत्तकोए, गेवेज्ज विमाण उडूलोय खेचलीए, अणुत्तरविमाणउडूलोयखेतलोए, इसि पन्सारपुढवि उढलोग खेत लोए' तद्यथा - १ सौधर्मकल्पोर्ध्वलोकक्षेत्रलोकः, यावत् - २ ईशानकर गोलोक क्षेत्रलोकः, ३ सनत्कुमार- ४माहेन्द्र - ५ ब्रह्मलोक- ६लान्तक-७महाशुक्र - ८सहस्रा - ९रात - १०माणताऽऽ११रणाऽ१२च्युतोर्ध्व लोक क्षेत्रलोकाः, १ श्यैवेयकविमानोर्ध्वलोकक्षेत्रलोकः, १४अनुत्तर विमानोर्ध्वतिर्यक्लोक है । और जहां पर बहुतकरके द्रव्यों का परिणाम शुभ होता है वह ऊर्ध्वलोक है । सो ही कहा है- ' अहव अहो, परिणामो' इत्यादि । इसी प्रकार से तिर्यग्लोक ऊर्ध्वलोक के विषय में भी जानना चाहिये लोक रूप क्षेत्र पन्द्रह प्रकार का किस प्रकार से है सो सूत्रकार इसी बात को प्रकट करने के लिये कहते है ' तंजहा- सोहम्मकप्प उडलोगखेत्तलोए, जाव अच्चुय उडूलोयखेत्तलोए, गेवेज्जविमान उडूलोयखेत्तलोए अणुत्तरविमाणडडूलो घरखेतलोए, इसिं कभार पुढवि उडुलोध खेत्त लोए' सौधर्मकल्प ऊर्ध्वलोकरूप क्षेत्रलोक १, यावत् - ईशानकल्प ऊर्ध्वलोकरूपक्षेत्रलोक २, सनत्कुमार ३ - माहेन्द्र ४ - ब्रह्मलोक ५-लान्तक ६महाशुक्र ७–सहस्रार ८ - आनत ९ - प्राणत १० - आरण ११ - अच्युत १२ ક્ષેત્રને તિગ્લાક કહે છે. જ્યાં મેાટે ભાગે દ્રવ્યાનુ પરિણામ શુભ હાય છે, તે ક્ષેત્રનું નામ ઉર્ધ્વ લેાક છે, छे. એજ વાત "L अह अहो परिणाम " इत्यादि सूत्रपाठ द्वारा अडेंट उरी प्रभा तिर्यो वसो विषे पशु समन्धुं " तंजहा " - લેાક રૂપ ક્ષેત્રલેાકના ૧૫ પ્રકારે નીચે પ્રમાણે છે CC सोहम कप्प उडलोग खेत्त लोए, जाव अच्चुयउडलोयखेत्त लोए, गेवेज्ज त्रिमाणडलोयखेत्तलोए, अणुत्तरविमाण उडलोयखेत्तलोए, इसिंपन्भारपुढवि उड्डलोयखेत्तलोए ” (१) सौधर्भ व ३५ क्षेत्रसो, (२) ईशानम्य व बो४३५ क्षेत्रयोङ, (3) सनत्कुमार, (४) माहेन्द्र, (५) ब्रह्मसोड, (1) सान्तः, (७) भड्डाशुङ, (८) सहस्रार (2) मानत, (१०) आयुत, (११) भार
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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