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________________ भगवतीसरे वहूनि वर्षशतानि, बहूनि वर्षसहस्राणि अनुभव भोगान् , हष्टतुष्टः परमायुष्य पालय 'इनणसंपरिवुडे हस्थिणापुरस्स नगरस्स अन्नेसिं च वहणं गामागरनगर जाव विहराहित्ति कटु जयजयसदं पउंजइ' इष्टजनसंपरिटतो हस्तिनापुरस्य नगरस्य अन्येषां च बहूनां ग्रामाकरनगर यावत् सन्निवेशकर्वटादिपु विहर इति कृत्वा जयजय शब्द प्रयुङ्क्ते । 'तए णं से सिवम कुमारे राया जाए महया हिमवंतमलयमंदरमहिंदसारे, वण्णओ जाव विहरइ' ततःखलु स शिवभद्रः कुमारो राजा जातः महाहिमवान् इव महान् तथा मलयः मलयाचलनामकः पर्वतविशेषः, मन्दर:-मेरुः, महेन्द्रः शक्रादिः देवरानः तद्वत् सारः प्रधानो यः स तथा भूत्वा वर्णकः अस्य वर्णनम् अन्यराजवर्णवदव से यम् , यावत् विहरति-तिष्ठति ।मु० १॥ के बीच धरण के समान रहो और मनुष्यो के बीच भरत के समान रहो. अनेक वर्षातक, सेकडों वर्पा तक, हजारों वर्षों तक तुम भोगों को भोगो । तथा संतुष्ठचित रहकर दीर्घ आयु प्राप्त करो । ' एवं इट्ठजण संपरिवडे हस्थिणापुरस्त नगरस्स अन्नेसिं च वणं गामागरनगर जाव बिहराहित्ति क? जय जय सद्द पउंजइ' इष्टजनों से परिवृत होकर तुम हस्तिनापुर के और दूसरे देशों के ग्राम, नगर सग्निवेश, कर्वट आदि कों में सुखपूर्वक विहार करो। इस प्रकार कह कर उसने पुनः जय जय शब्द का प्रयोग किया। इस प्रकार के शुभाशीर्वादों से युक्त हुआ वह 'से सिवभद्दे कुमारे राया जाए, मया हिमवंतमलयमंदमहिंदसारे वगो जाव विहरइ' वह शिवभद्रकुमार राजा हो गया महान् हिमवान् पर्वत के समान महान् वह वन गया. मलयाचल पर्वत, मन्दरसमेह एवं महेन्द्रदेवराज के जैमा वह राजाजनों में प्रधान हो गया. इसका वर्णन अन्यराजाओं के वर्णन के जैसा जानना चाहिये ।।सू०१॥ જેમ રહેજે. અનેક વર્ષો સુધી, સેંકડે વર્ષો સુધી, હજારો વર્ષો સુધી તું ભેગેને ભોગવ્યા કર અને સ તુષ્ટ રહીને દીર્ધાયુ પ્રાપ્ત કર.” " एवं इट्ठजणसंपग्वुिडे हत्थिणापुरस्स नगरस्त अन्नेसि च बहूण गामागरनगर जाव विहराहि त्ति कटु जयजयसई पउंजइ" नाथा पी2018 (युत થઈને) તે હસ્તિનાપુરના અને બીજા દેશોનાં ગ્રામ, નગર, સન્નિવેશ, કર્બટ આદિમાં સુખપૂર્વક વિચરતે રહે.” આ પ્રમાણે કહીને તેણે ફરીથી તેને જય यात्रा मारीत पिताना शुनाशीवाद सहित “से सिवभदकमारे राया जाए" शिव कुमार २ थये. “ महया हिमवंतमलयमदरमहिदसारे वण्णओ जात्र विर" त महान भासयन र महान / गया, मस्यायन પર્વત. મંદર (સુમેરુ) અને મહેન્દ્રના જે તે રાજાઓમાં મુખ્ય બનીને ભિવા લાગે. તેનું વર્ણન અન્ય રાજાઓના વર્ણન અનુસાર સમજવું સૂપ
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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