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________________ प्रमेयवन्द्रिका टीका श० १० उ० ६ सू० १ देवावस्थानविशेषनिरूपणम् २०५ वाक्यं सत्यापयन्नाह-'सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति' हे भदन्त ! तदेवं भवदुक्तं सत्यमेव हे भदन्त । तदेवं भवदुक्त सत्यमेवेति । सू० १॥ ॥ इति श्री विश्वविख्यात-जगद्वल्लभ-प्रसिद्धवाचक पञ्चदशभाषा कलितललितकलापालापकप्रविशुद्धगद्यपद्यनैकग्रन्थनिर्मापक वादिमानमर्दक श्री शाहू छत्रपति कोल्हापुरराजप्रदत्त'जैनाचार्य' पदभूषित-कोल्हापुरराजगुरुबालब्रह्मचारि-जैनाचार्य-जैनधर्मदिवाकर -पूज्य श्री घासीलालबतिविरचितायां श्री "भगवतीसूत्रस्य" प्रमेयचन्द्रिका. ह्यायां व्याख्यायां दशमशतकस्य षष्ठोद्देशः समाप्तः॥१०.६॥ अन्त में भगवान के वचनों में सत्यता ख्यापन करने के निमित्त गौतम प्रभु से कहते हैं कि 'सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' हे भदन्त ! आपके द्वारा कहा गया यह सब विषय सर्वथा सत्य ही है, आपके द्वारा कहा गया यह सब विषय सर्वथा सत्य ही है। इस प्रकार कहकर वे गौतम यावत् अपने स्थान पर विराजमान हो गये |सू०१॥ जैनाचार्य श्री घासीलालजी महाराज कृत " भगवतीसूत्र" की प्रमेयचन्द्रिका व्याख्याका दसवें शतकका छट्टो उद्देशक समाप्त ॥१०-६॥ ગૌતમ સ્વામી મહાવીર પ્રભુનાં વચનને પ્રમાણભૂત ગણીને કહે છે કે "सेवं भते । सेवं भंते ! ति" 3 लगवन् ! मायनी पात मिसस सत्य छे. હે ભગવન! આ વિષયનું આપે જે પ્રતિપાદન કર્યું, તે સર્વથા સત્ય, જ છે ” આ પ્રમાણે કહીને તેમને વંદણા નમસ્કાર કરીને તેઓ પોતાને સ્થાને बसमान २४ गया. ।। सू०१॥ જૈનાચાર્ય શ્રી ઘાસીલાલજી મહારાજ કૃત “ભગવતીસૂત્રની પ્રમેયચન્દ્રિકા વ્યાખ્યાન દશમા શતકને છઠ્ઠો ઉદ્દેશ સમાપ્ત . ૧૦-૬
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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