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________________ १३६ भगवती सूत्रे महिपी वक्तव्यता, धरणेन्द्रस्य अग्रमद्दिपी वक्तव्यता । धरणेन्द्रस्य लोकपाल कालवालस्याग्रमहिषी वक्तव्यता, भूतानन्देन्द्रस्य नागकुमारेन्द्रस्य - अग्रमहिपी वक्तव्यता, भूतानन्देन्द्रस्य लोकपालानाम् अग्रमद्दिपी वक्तव्यता, काछेन्द्रस्य अन महिषी वक्तव्यता, सुरूपेन्द्रस्य अग्रमहिपी वर्णनम्, पूर्णभद्रस्याग्रमहिषी वक्तव्यता, राक्षसेन्द्रस्य भीमस्य अग्रमहिपी वक्तव्यता । तथैव किन्नरेन्द्रस्य, सत्पुरुषेन्द्रस्य, अतिकायेन्द्रस्य, गीतरतीन्द्रस्य च अग्रमहिषी वक्तव्यता । सूर्यचन्द्रस्य अङ्गारस्य ग्रहस्य, शक्रेन्द्रस्य चाग्रमहिपीवक्तव्यता । शक्रो देवेन्द्रः सुधर्मायां सभायां स्वदेवीभिः सहदिव्यान् भोगभोगान् भोक्तुं समर्थो भवति नवेति प्रश्नः, न समर्थ इत्युत्तरं, तद्धकथनं च शक्रस्य लोकपालस्य सोमस्याग्रमहिपी वक्तव्पता, ईशानेन्द्रस्यं तल्लोकपालसोमस्य चाग्रमद्दिपी वक्तव्यता । लोकपाल की अग्रमहिषियोंका कथन. चीन्द्र की अग्रमहिषियोंका har. लीन्द्र और लोकपाल सोम इनकी अग्रमहिपियोंका कथन. घर न्द्र की अग्रमहिषियों को कथन. धरणेन्द्र और लोकपाल कालवाल की अग्रमहिषियोंका कथन भूतानन्द इन्द्र और नागकुमार इन्द्र इनकी अग्रमहिषियोंका कथन. भूतानन्द इन्द्र के लोकपालों की अग्रमहिषियोंका कथन. कालेन्द्र की अग्रमहिपियोंका कथन सुरूपेन्द्र की अग्रमहिषियों का वर्णन. पूर्णभद्र की अग्रमहिषियों का वर्णन. राक्षसेन्द्र भीम की अग्रमहिषियों का कथन किन्नरेन्द्र, सत्पुरुषेन्द्र, अतिकायेन्द्र, गीतरतीन्द्र, इनकी अग्रमहिषियों का वर्णन, सूर्य चन्द्र, अङ्गारग्रह (मंगल) आदि महाग्रह और शक्रेन्द्र की अंग्रमहिषियों का कथन. देवेन्द्र शक्र सुधर्मासभा में अपनी देवियों के साथ दिव्य भोगों को भोगने के लिये समर्थ होता है या नहीं ऐसा प्रश्न नहीं होता है ऐसा उत्तर. इसमें 66 યમ નામના લેાકપાલની અગ્રમહિષીચેાનુ` કથન ખલીન્દ્રની અગ્રમહિષીનું કથન પ્રશ્ન- લેાકપાલ સેામ અને લેાકપાલ અલીન્દ્ર શુ તેમની સભામાં દેવીએની સાથે ભેાગ ભાગવવાને સમથ છે ખરાં?'' તેના નકારમાં ઉત્તર ધરણેન્દ્રની અગ્રમહિષીનુ યન. ધરણેન્દ્ર અને લેાકપાલ કાલવાલની અગ્રમહિષીઓનુ` કથન, ભૂતાનન્દ-ઇન્દ્ર અને નાગકુમારેન્દ્રની અગ્રમહિષીઓનું કથન, કલેન્દ્રની અગ્ર મહિષીઓનું કથન, સુરૂપેન્દ્રની અગ્રમહિષીઓનુ વણુતા, પૂર્ણ ભદ્રની અગ્રમહિષીઓનુ' વર્ણન, રાક્ષસેન્દ્ર ભીમની અગ્રમહિષીઓનુ* કથન, કિન્નરેન્દ્ર, સત્પુરુષેન્દ્ર, अतिप्रायेन्द्रे, गीतरतीन्द्र, वगेरे - ईन्द्रोनी अश्रमहिषीभेोतुं स्थन, सूर्य, यन्द्र, અગારગ્રહ ( મંગળ ) વિગેરે અને શક્રેન્દ્રની અગ્રમહિષીઓનુ કથન પ્રશ્ન“ વેન્દ્ર શ¥શું પેાતાની સુધર્મા સભામાં પેાતાની દેવીએ સાથે દિવ્ય
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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