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________________ ६०४ भगवती सूत्रे जमालि मिथ्यामिमानवक्तव्यता । मूलम् – “ तए से जमाली अनगारे अन्नया कयाईताओ रोगायंकाओ विष्पसुक्के हट्ठे तुट्ठे जाए अरोए वलियसरीरे सावत्थओ नयरीओ कोट्टयाओ वेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुवाणुपु िचरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपानगरी, जेणेत्र पुण्णभद्दे चेइए, जेणेत्र समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छह, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीररस अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी - जहाणं देवाणुपियाणं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउ - मत्था भवेत्ता, छउमत्थावकमणेणं अवकंता, णो खलु अहं तहा छउमत्थे भवित्ता छउमत्थावकमणेणं अवक्कमिए, अहंणं उप्पन्न णाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलि अकमणेणं अवक्कमिए । तणं भगवं गोयमे जमालिं अणगारं एवं व्यासीणो खलु जमाली ! केवलिस्स णाणे वा, दंसणे वा, सेलेसि वा, थंभंसि वा, मंसि वा, आवरिज्जइ वा, णिवारिज्जइ वा, जइणं तुमं जमाली ! उपपन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता, केवलि अवक्रमणेणं अवकते, तोणं इमाई दो वागरणांई वागरेहि-- सासए लोए, जमाली ! असासए लोए जमाली । सासए जीवे जमाली ! असासए जीवे जमाली ? । तए णं से जमाली. अणगारे भगवया गोयमेणं एवंवुत्ते समाणे संकिए, कंखिए, वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने, कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था, णो संचाएइ भगवओ गोयमस्स किंचिवि मो
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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