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________________ لایه भगवतीसूत्रे जाव निजरिजमाणे णिज्जिपणे, तं गं मिच्छा, इमं च णं पञ्चरखमेव दोलइ, सेज्जासंथारए कन्जमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथिरिए, जम्हा णं सेजासंथारए कन्जमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिए तहमा चलमाणे वि, अचलिए जाव निजरिजमाणे वि अणिजिन्ने, एवं संपेहेइ, एवं संपेहेत्ता समणे निगंथे सदावेइ, सदावेत्ता एवं वयासी-जं णं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवं आइक्खइ, जाव परूवेइ एवं खलु चलमाणे चलिए तं चेव सवं जाब णिजरिज्जमाणे अणिज्जिणे, तए णं जमालिस अणगारम्स एवं आइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्त अत्थेगइया समणा निग्गंथा एयम सदहंति, पत्तियति,रोयंति,अत्थेगइया समणा निरगंथा एयमद्वंणोसदहंति, णो पत्तियति णो रोयंति, तत्थणं जे ते समणा निरगंथाजमलिस्स अनगारस्स एवमटुंसदहंति,पत्तिंगति, रोयंति,ते गं जमालिं चेव अणगारं उपसंपजिताणं विहरति, तत्थणजे ले रूमणा णिग्गंथा जमालिस्त अणगारस एयमई णो सहति, गो पत्तियंति, णो रोयंति, ते णं जमालिस्त अगगारस अंतियाओ कोटयाओ चेइशाओ पडिणिकति पडिणिकखमित्ता पुवाणुपुलिंब चरमाणे गामाणुगास दुइज्जमाणे जेणेन चंपानयरी जेणेव पुण्णभदे चेइए जेणेव समगे भरानं महाबीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपचाहिणं करेंति, करेत्ता वदंति, नमंति, वंदित्ता नमं. सित्ता समण भगवं महावीर उवसंपाजत्ता विहरति ॥सू०१३॥
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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