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________________ " प्रमेयमद्रिका टी००९४०३२०१८ नैरयिकाद्युत्पादादिसान्तर निरन्तरतानि० ३११ उववज्जंति, संतरंपि नेरइया उत्बति निरंतरंपि नेरइया उठव इंति, एवं जाव थणियकुमारा, नो संतरं पुढविक्काइया उच्चद्वंांति, निरंतरं पुढविकाइया उव्वहंति एवं जाव वणस्सइकाइया, सेसा जहा नेरइया, नवरं जोइसियवेमाणिया चयंति, अभिलावो, जाव संतरेपि वैमाणिया चयंति, निरंतरंपि वेमाणिया चयंति । संतो भंते! नेरइया उववज्जंति, असंतो अंते ! नेरइया उववजंति ? गंगेया ! संतो नेरख्या उववज्जंति, नो असंतो नेरइया उववंजति, एवं जाव वेमाणिया । संतो भंते ! नेरइया उच्चहंति ? असतो नेरइया उद्वेति ? गंगेया ? संतो तेरइया उद्यहृति, नो असतो नेरइया उति, एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसियवेमाणिपसु चयंति भाणियवं । सओ भंते ? नेरइया उववज्जंति, असओ भंते ? नेरइया उपवनंति, संतो असुरकुमारा उववनंति, जाव सओ वैमाणिया उबवज्जंति, असओ वेमाणिया उववज्जंति, सओ नेरइया उव्वति, असओ नेरइया उच्चति, सओ असुरकुमारा उवति, जाव सओ वेमाणिया चयंति, असओ वेमाणिया यंति ? गंगेया ? सओनेरइया उववज्जंति, नो असओनेरइया उववज्जंति, सओ असुरकुमारा उववज्जंति, नो असओअसुरकुमारा उववज्जति जाव सओ वेसाणिया उववज्र्ज्जति, नो असओ 'वैमाणिया उववज्जंति, सओ नेरइया उन्नति, नो सओ वेमाणिया 1 असओ नेरइया उच्चति, ! जाव चयंति, नो असओ वैमाणिया चयंति । से केवणट्टेणं
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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