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________________ १४४ भगवती सूत्रे इति सर्व संमेलने चं द्विपष्टयधिकचतुःशत - ( ४६२ ) भङ्गा भवन्ति - इति संक्षेपार्थः || सू० ४ ॥ चतुनैरयिकाणां कोष्ठकम् पञ्चानाम् - एकसंयोगे --—७ "" 95 " द्विसंयोगे -- ८४ त्रिसंयोगे - २१० चतुष्पमंयोगे - १४० पञ्चकसंयोगे - २१ 33 सर्व मेलने - ४६२ भङ्गाः विकल्प इससे आते हैं कि पांच नैरमिकों के द्विकसंयोगमे सात पदों के२ १ भंग होते हैं - इन अंगों के साथ, नारकों के द्विधाकरण में लभ्यमान १–४, २–३, ३–२, ४-१ इन चार विकल्पों का गुणा करने पर ८४ भंग आ जाते हैं पांच नारकों के त्रियोग मे १-१-३, १–२–२, २–१–२, १-३-१, २-२-१, ३-१-१ ये छह विकल्प होते हैं सात नरक के त्रिक संयोग में जो ३५ विकल्प हुए हैं सो इन ३५ विकल्पों के साथ इन ६ विकल्पों का गुणा करने पर २१० भंग पांच नैरयिकों के चिकसंयोगी आ जाते हैं। पांच नैरयिकों के नरक चतुष्क संयोग में सात पदों के ३५ विकल्प होते हैं वो इन ३५ विकल्पों के साथ नैरयिक के चतुः संयोग से लभ्य १-१-१-२, १-१-२-१, १-२-१-१, २-१-१-१ इन चार विकल्पों का गुणा करने पर १४० भंग आ जाते हैं। पांच नैरयिकों छे. द्विम्स योगी ८४ विम्यो ( भगाओ। ) नो हिसाम या प्रमाणे समन्व પાંચ નૈરયિકાના દ્વિકસચેગથી સાત પદોનાં ૨૧ ભાંગાએ થાય છે. भावा २१ आंगाभोवाणा द्विम्स योगी यार हिप ( १-४, २-3, 3-२, ૪-૧) થાય છે. તેથી ચારે વિકલ્પના દ્વિકસચેાગી ભગા કુલ ૨૧૪૪=૮૪ थाय हे पांथ नाश्ता त्रिसयोगमा १-१-३, १-२-२, २-१-२, १-३-१, ૨-૨-૧, અને ૩-૧-૧ રૂપ ૯ વિકલ્પ થાય છે. દરેક વિકલ્પની અપેક્ષાએ સાત નરકેાના ત્રિકસચેાગી ૩૫ ભાંગાએ બને છે, તેથી ૬ વિકલ્પના કુલ ભાંગાએ ૩૫૪૬=૨૧૦ થાય છે. પાંચ નરકાના નરકચતુષ્ક સચૈાગમાં ૩૫ लांगावाणी रेड विम्य थाय छे. सेवां यार विम्याता ( १-१-१-२, १–१ –२–१, १–२–१–१, २-१-१-१ ३५ यार वियोना ) स उप×४=१४०
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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