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________________ ७१८ ____ ' भगवतीस्त्र आयुष्कत्वे च जघन्येन सातिरेकाष्टवर्षायुष्के, उत्कृष्टेन पूर्वकोटचायुष्के भवेत्। गौतमः पृच्छति-' से णं भंते ! किं सवेदए, अवेदए ? पुच्छा' हे भदन्त ! स खलु अधिकृतावधिज्ञानी कि सवेदको भवति ? किं वा अवेदको भवति ? भगवानाह-' गोयमा ! सवेदए होज्जा, अवेदए वा, हे गौतम ! सः अधिकृतावधिज्ञानी सवेदको भवेत् अक्षीणवेदस्यावधिज्ञानोत्पत्तौ सवेदकः सन् अवधिज्ञानी भवेते , क्षीणवेदस्य चावधिज्ञानोत्पत्तौ अवेदकः सन् अवधिज्ञानी भवेत् , अवेदको वा भवेत् । गौतमः पृच्छति-'जइ अवेदए होज्जा, किं उवसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होज्जा ? ' हे भदन्त ! अधिकृतावधिज्ञानी यदि अवेदको भवेत् तदा किं स . धनुष का होता है। आयुष्क में यह कम से कम आठ वर्ष से कुछ अधिक आयु में और अधिक से अधिक एक पूर्व कोटि आयु में होता है। ___ अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-(से णं भंते! किं सवेदए अवेदए पुच्छा) हे भदन्त ! वह उत्पन्नावधिज्ञानी वेदसहित होता है या विना वेदका होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-(गोयमा सवेदए होज्जा अवेदए होज्जा) हे गौतम ! वह उत्पन्नावधिज्ञानी जीव सवेदक भी होता है और अवेदक भी होता है। अक्षीणवेद वाले जीव के जब अवधिज्ञान उत्पन्न होता है तब वह अवधिज्ञानी सवेदक होता है ऐसा कहा जाता है और क्षीणवेवाले जीव को जब अंवधिज्ञान उत्पन्न होता है-तब वह अवधिज्ञानी अवेदक होता है ऐसा कहा जाता है। ___ अथ गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-(जइ अवेदए होज्जा किं उवसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होजा) हे भदन्त ! यदि वह उत्पन्नावधिછે. તેની જઘન્ય ઊંચાઈ સાત હાથપ્રમાણ અને ઉત્કૃષ્ટ ઊંચાઈ ૫૦૦ ધનુષ પ્રમાણ હોય છે. તેનું જઘન્ય આયુષ્ય આઠ વર્ષ કરતાં થોડું વધારે અને ઉત્કૃષ્ટ આયુષ્ય એક પૂર્વકટિ પ્રમાણ હોય છે. गौतम स्वाभाना प्रश्न-(से णं भंते ! किं सवेदए, अवेदए पुच्छा?). ભદન્ત ! તે ઉત્પન્નાવધિજ્ઞાની વેદસહિત હોય છે કે વેદરહિત હોય છે? महावीर प्रसुना उत्तर-(गोयमा ! सवेदए होज्जा, अवेदएं होज्जो) હે ગૌતમ! તે સવેદક પણ હોય છે અને અવેદક પણ હોય છે. અક્ષણ વેદવોળા જીવને જ્યારે અવધિજ્ઞાન ઉત્પન્ન થાય છે, ત્યારે તે અવધિજ્ઞાની વેદક હાય છે એવું કહેવાય છે, અને ક્ષીણદવાળા જીવને જ્યારે અવધિજ્ઞાન ઉત્પન્ન થાય છે, ત્યારે તે અવધિજ્ઞાની અવેદક હોય છે એવું કહેવાય છે. गौतम स्वाभाना प्रश्न-(जेइ अवेदए होजा, किं उबसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होज्जा ? ) 3 महन्त ! a srपन्नापधिज्ञानी म४४ सय छ,
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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