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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०९ उ.२ सू२ जम्बूद्वीपसूर्य चन्द्रादिबक्तव्यमा ५९६ अभितरपुक्खरद्धमणुस्सखेत्ते, एएसु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव-"एगससीपरिपारोतारागणकोडिकोडीणं । धातकीखण्डे कालोदे पुष्करवरे, आभ्यन्तरपुष्करार्द्धमनुष्यक्षेत्रो, एतेषु सर्वेषु पञ्चसु यथा जीवाभिगमे चन्द्रादिप्रकाशादिकमुक्त तथैवात्रापि तद् वक्तव्यम् , तथा चोक्तं तत्र-'धायईखंडे णं भंते! दीवे केवइया चंदा पभासिसु वा३, केवड्या सूरिया तविसु वा३, इत्यादि प्रश्नाः पूषेवदेव कल्पनीयाः, उत्तरं तु-'गोयमा! वारसचंदा पभासिसु वा ३ वारस सुरिया तर्विसु वा ३? एवं । चउचीसं ससिरविणो नक्वत्तसया य तिनि छत्तीसा । एग च गहसहस्स छपन्नं धायईसंडे ॥ १ ॥ प्रकट करने के लिये सूत्रकार कहते हैं-(धायईसंडे, कालोदे, पुक्खरवरे अभितरपुक्खरद्धमणुस्सखेत्ते एएसु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव)" एग ससी परिवारो तारागणकोडिकोडीणं" धातकीखण्ड में, कालोद में, पुष्करवर में, आभ्यन्तरपुष्कराध में और मनुष्यक्षेत्र में इन पांच स्थानों में-जीवाभिगमस्त्रोक्त चन्द्रादिप्रकाशविषयक वक्तव्यता की तरह चन्द्रादि ज्योतिष्क प्रकाश वक्तव्यता जाननी चाहिये वहां वह वक्तव्यता इस प्रकार से कही गई है 'धायईसडे णं भंते । दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा ३, केवइया सूरिया तविलु वा ३ " इत्यादि, हे भदन्त ! धातकी खण्ड में कितने चन्द्रमाओं ने प्रकाश किया है ? अब वहां कितने चन्द्रमा प्रकाश करते हैं और भी कितने चन्द्रमा वहां प्रकाश करेंगे? इसी तरह से सूर्यो के द्वारा प्रकाश करने की वक्तव्यता के विषय में प्रश्न जानना चाहिये। इत्यादि-इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! धातकी खण्डमें १२ चन्द्रमाओं ने और १२ सूर्यों ने अपना २ कार्य किया है, अब भी वे अपना २ कार्य करते हैं और आगे भी (घायईसंडे, कालोदे, पुखरवरे, अमितरपुक्खरद्धमणुस्सखेत्ते एएसु सव्वेस जहा जीवाभिगमे जाव एग ससी परिवारो तारोगणकोडकोडीण ) धाती, કાલેદ, પુષ્કરર, આભ્યન્તર પુકરાઈ અને મનુષ્યક્ષેત્ર, આ પાંચ સ્થાનોમાં જીવાભિગમ સૂત્રમાં કહ્યા પ્રમાણે જ ચન્દ્રાદિના પ્રકાશની વક્તવ્યતા સમજવી. ત્યાં તે વક્તવ્યતા નીચે પ્રમાણે કહી છે— (धायईसडे णं भते ! दीवे केवइया चंदा पभासिसु वा ३, केवइया सूरिया तविसु वा ३) त्यादि. 3 महन्त ! घातीय द्वीपमा टसा द्रमा प्रा. શતા હતા ? કેટલા ચંદ્રમાં પ્રકાશે છે ? અને કેટલા ચંદ્રમાં પ્રકાશતા રહેશે? એજ પ્રમાણે સૂર્યના પ્રકાશ વિષેની વક્તવ્યતા વિષયક પ્રશ્નો પણ સમજવા. મહાવીર પ્રભુને ઉત્તર—ઘાતકીખંડમાં ૧૨ સૂર્ય અને ૧૨ ચંદ્રમા ભૂતકાળમાં પ્રકાશતા હતા, વર્તમાનમાં પ્રકાશે છે અને ભવિષ્યમાં પણ પ્રકાશશે. भ ७५
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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