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________________ भगवती सूत्रे ક્ર 1 3 मानुष्यश्च वध्नन्ति । तद् भदन्त ! किं स्त्री बध्नाति पुरुषो वध्नाति, नपुंमको वध्नन्ति, स्त्रियो यध्नन्ति पुरुषा वध्नन्ति नपुंसका बध्नन्ति, नोखीनो पुरुषनोनपुंसको बध्नाति गौतम ! नो रखी बध्नाति, नो पुरुषो बध्नाति, नो नपुंसको बध्नाति यावत् नोनपुंसको बध्नाति, पूर्वप्रतिपन्नकान् प्रतीत्य अपगतवेदा वध्नन्ति, प्रतिपद्यमानवांश्च प्रतीत्य अपगतवेदो वा बध्नाति, अपगतवेदा वा वध्नन्ति । यदि खलु भदन्त ! अपगतवेदो वा वध्नाति, अपगतवेदा वा वध्नन्ति तत् भदन्त ! किं स्त्रीपश्चात्कृतो वध्नाति १, पुरुषपश्चात्कृतो वध्नाति २, नपुंसकबंधइ, पुरियो बंध, नपुंसगो वंधह, इत्थीओ वधति, पुरिसा बंधंति, agart वधति, नोइत्थी, नोपुरिसो नोनपुंसओ बंध) हे भदन्त । ऐafafe कर्म क्या स्त्री बांधती है ? या पुरुष बांधता है ? या स्त्रियाँ बांधती है ? या पुरुष बांधते हैं ? अथवा नपुंसक बांधते हैं ? तथा नो स्त्री, नो पुरुष, तो नपुंसक बांधता है ? ( गोयमा) हे गौतम! ( गो इत्थी बंध, णो पुरिसो बंध, जाव णो नपुंसगा बंधंति, पुव्यपडिवन्नए पडुच अवयवेदा बंधंति, पडित्रजमाणए य पड्डच्च अवगयवेदो वा बंधइ, अवयवेदा वा बंधति ) ऐर्यापथिक कर्म को न स्त्री बांधती है, न पुरुष बांधता है, यावत् न नपुंसक बांधते हैं। पूर्व प्रतिपन्न को आश्रित करके वेदरहित जीव वांधते हैं। प्रतिपद्यमान को आश्रित करके वेदरहित एक जीव या वेदरहित सघ जीव बांधते हैं । ( जइ णं भंते! अवयवेदो वा बंध, अवयवेदा वा बंधंति, तं भते किं इत्थी पच्छाको बंध १, ( त' भते ! किं इत्थी बंधइ, पुरिमो बंधइ, नपुंसगो बंधइ, इथिओ धति, पुरिसा बधति, नपुं सगा बधति, नो इत्थी, नो पुरिखो, नो नपुंसओ व'धइ १) डे लहन्त ! शु' सैर्याय उभ श्री जांघे छे ? } पुरुष जांघे छे ? કે નપુસક ખાંધે છે ? કે સ્ત્રીએ બાંધે છે ? કે પુરુષા બાંધે છે ? કે નપુસકે ખાંધે છે ? અથવા ના સ્રી, ના પુરુષ, ને નપુંસક ખાધે છે ? (गोयमा !) डे गौतम ! (णो इत्थी बंधइ, णो पुरिसो बधइ, जाव णो नपुंसावधति पुत्रपडिवन्नए पडुच्च अवगय वेदा बंधति, पडिवज्जमाणए य पडुच्च अवगयवेदो वा बधइ, अवगयवेदा वा बधति) मर्या पथि उभ स्त्री गांधती नथी, પુરુષ ખાધતેા નથી, અને નપુંસકા પન્તના ઉપયુક્ત કેઇ પણ જીવા ખાંધતા નથી, પણ પૂ પ્રતિપન્નની અપેક્ષાએ વેદરહિત જીવે! ખાંધે છે અને પતિપદ્યમાનની અપેક્ષાએ વેદરહિત એક જીવ અથવા વેશ્વરહિત બધાં જીવા અય્યપથિક કમ ખાંધે છે. ( जइ भते ! अवगय - वेदो वा चधइ, अवगय वेदा वा बंधति त भंते किं इत्थी पच्छाको बंध'ति १, पुरिसपच्छाकडो वधइ २, नपुंसगपच्छा कढो
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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