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________________ प्रमेयचन्द्रिका रीPOR९०१० मौदारिकादिन्धिस्य परस्परसम्बन्धनि न्धकः, नो वा सर्वबन्धको भवतीति भावः । एवं रीत्या औदारिकवैक्रिय-आहारक शरीराणां सर्ववन्ध-देशबन्धान अन्येषां बन्धैः सह प्ररूप्य अथ तेजसदेशवन्धं प्ररूपयितुमाह- जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देसवधे, सेणं भते! ओरालियसरीरस्स कि वधए, अवंधए ? ' गौतमः पृच्छति-हे भदन्त ! यस्य खलु जीवस्य तैजसशरीरस्य देशवन्धो भवति, हे भदन्त ! स खलु तैजसशरीरदेशवन्धको जीवः किम् औदारिकशरीरस्य वन्धको भवति. अवन्धको वा भवति ? 'भगवानाइ-गोयमा! जीव तेजस और कार्मणशरीर का सर्वबंधक न होकर केवल देशबंधक ही होता है । इस तरह वह उसका अबंधक नहीं होता। इसरीति से औदारिक, वैक्रिय, अहारकशरीरों के सर्वच ध और देशबंधों की अन्यशरीरों के घधों के साथ प्ररूपणा करके अब सूत्रकार तैजसशरीर के देशबंध की प्ररूपणा करते हैं-इसमें प्रभु से गौतम ने ऐमा पूछा है(जस्स णं भंते! तेयासरीरस्स देसवधे, से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए अबंधए) हे भदन्त ! जो जीव तैजसशरीर का देशबंधक होता है, वह क्या! औदारिकशरीर का बंधक होता है, या अबंधक होता है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-(गोयमा) हे गौतम! (वधए वा अवधए वा) तैजसशरीर का देशबंधक जीव औदारिकशरीर का वधक भी होता है और अब धक भी होता है। इसका तात्पर्य ऐसा है कि विग्रहगति में वर्तमान जीव तैजसशरीर से युक्त तो रहता है पर वह પણ અસંધક જ રહે છે પરંતુ આહારક શરીરનો દેશબંધક જીવ તેજસ અને કામણશરીરને સર્વબંધક હોને નથી, પણ ફક્ત દેશબંધક જ હોય છે. આ રીતે તે કામણ અને રજસશરીરોના અબ ધકહેતા નથી. હવે સૂત્રકાર તેજસ શરીરના દેશબ ધની સાથે અન્ય શરીરની બંધક્તા કે અબંધકતાનું નીચેના પ્રશ્નોત્તરે દ્વારા પ્રતિપાદન કરે છે– गौतम स्वाभीन। -( जस्स ण भते ! तेयासरीरस्स देसब धे, से ण भंते ! ओरालियसरीरस्स कि बधए, अबधए ) 3 महन्त ! २ ८१ तेस શરીરને દેશબંધક હોય છે, તે શુ દારિક શરીરને બંધક હેય છે, કે અબંધક હોય છે? . महावीर प्रभुन। उत्तर-"गोयमा ! " गौतम ! “धए वा, अब'पए वा" स शरना श५५४ ७१ मोहा२ि४ शरीरने ५५ ५y डाय છે અને અબ ધક પણ હેય છે. આ કથનનું તાત્પર્ય એવું છે કે વિગ્રહગતિમાં રહેલા જીવ તેજસ શરીરથી યુક્ત તે રહે છે, પણ તે જીવ તે સમયે દા
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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