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________________ . ५३० मंगवतीने धए ? ' हे भदन्त ! यस्य खलु जीवस्य आहारकशरीरस्य देशवन्धो भवति, हे भदन्त ! स खलु आहारकशरीरदेशवन्धको जीवः किम् औदारिकशरीरस्यवन्धको भवति ? अबन्धको वा भवति १ भगवानाह-' एवं जहा आहारगसरीरस्य सन्धबंधेणं भणिय तहा देसव धेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स' हे गौतम ! एवम् उक्तरीत्या यथा आहारकशरीरस्य सबबन्धेन-सर्वबन्धविषयकेण आलापेन भणितम् तथा देशवन्ध केनापि भणितव्यम् , यावत् कार्मणस्य, तथा च यावत्पदेन-आहारकशरोरस्य देशवन्धको जीवः औदारिकशरीरस्य वन्धको न भवति, अपितु अबन्धकः, एवं वैक्रियशरीरस्यापि बन्धको न भवति, अपितु अवन्धक एव, किन्तु आहारकदेशबन्धको जीवः तैजमकार्मणशरीरयोस्तु देशबन्धको भाति, नो आघंधए, अबधए ) हे भदन्त ! जो जीव आहारक शरीर का देशबंधक होता है, वह जीव क्या औदारिक शरीर का बधक होता है या अबंधक होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं ( एवं जहा आहारगसरीरस्स सव्वव घेणं भणियं तहा देसब धेण वि भाणियध्वं जाव कम्मगस्स ) हे गौतम ! जिस प्रकार से आहारक शरीर के सर्ववधविषयक आलाप के द्वारा शेष शरीरों के बंध और अवध के होने में कहा गया है उसी प्रकार से इस आहरक शरीर संबंधी देशबंधविषयक आलाप द्वारा शेष शरीरों के बंध और अबंध होने के विषय में यावत् कार्मणशरीर के देशबंध तक जानना चाहिये। तथा च-आहारक शरीर का देशबंधक जीव औदारिक शरीर का बंधक नहीं होता है। अपितु वह इसका अबंधक ही रहता है। इसी तरह से वह वैक्रियशरीर का भी बधक नहीं होता है-अपि तु अबंधक ही रहता है। परन्तु आहारकशरीर का देशवधक આહારક શરીરને દેશબંધક હોય છે તે જીવ શું દારિક શરીરને બંધક હોય છે, કે અબંધક હોય છે? मडावीर प्रभुने। उत्तर-( एवं जहा आहारगसरीरस्म सव्यबधेणं भणियं तहा देसब धेण वि भाणियव जाव कम्मगल्स) 8 गौतम ! २ प्रमाणे माह શકશરીરના સર્વબંધ વિષયક આલાપકે દ્વારા બંધતા અને અખંધકતાનું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે, એ જ પ્રમાણે આ આહારકશરીર સંબંધી દેશબધ વિષયક આલાપકે દ્વારા બાકીનાં શરીરની બંધકતા અને અબંધકતાનું પ્રતિપાદન કાર્મણ શરીરના દેશબંધ સુધી કરવું જોઈએ. જેમ કે–આહારક શારીરને દેશબંધક જીવ દારિક શરીરને બાધક હેતે નથી, પણ તેને અબંધક જ હોય છે. એ જ પ્રમાણે તે વૈદિયશરીરને પણું બંધક હોતું નથી
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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