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________________ ३०४ भगवतीस्त्र भगवानाह-'गोयमा ! देसवधेः वि सबबंधे वि' हे गौतम ! वैक्रियशरीरप्रयोगवन्धो देशबन्धस्वरूपोऽपि सर्ववन्धस्वरूपोऽपि भवति । 'वाउक्काइयएगिदिय० एवं चेत्र, रयणप्पभापुढविनेरइया एवं चेव, एवं जाव अणुत्तरोववाइया' वायुकायिकैकेन्द्रियशरीरप्रयोगवन्धः एवञ्चैव देशवन्धोऽपि भवति, सर्ववन्धोऽपि भवति, एवं रत्नप्रभापृथिवीनैरयिकपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीप्रयोगववन्धः एवं चैव देशवन्धोऽपि सर्ववन्धोऽपि भाति, एवं रीत्या यावत् शर्करामभापृथिव्यायधःसप्तमी पृथिव्यस्त नैरयिक-भानपति-बानव्यन्तर-ज्योतिपिकवैमानिक-नवग्रैवेयक-कल्पातीतानुत्तरौपपातिकदेवाञ्चन्द्रियवैक्रियशरीरप्रयोगवन्धो देशबन्धोऽपि भवति सर्ववन्धोऽपि, देशबंधरूप होता है या सर्व बंधरूप होता है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं(गोयना ) हे गौतम ! वैक्रियशरोरप्रयोगबंध (देसबंधे वि सव्वधंधे वि) देशधरूप भी होना है और सर्वबंधरूप भी होता है। (वाउकाइयएगिदिय एवं चेव, रयणप्पभापुढविनेरइया एवं चेव, एवं जाव अणुत्तरोववाइया) अब गौतमप्रभुसे ऐसा पूछते हैं-हे भदन्त | वायुकायिक एकेन्द्रिय वैक्रियशरीरप्रयोगबंध देशबंधरूप होता है या सर्वबंधरूप होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! वायुकायिक एकेन्द्रिय वैक्रियशरीरप्रयोगच देशबंध रूप भी होता है और सर्वधरूप भी होता है। रत्नप्रभापृथिवो नैरपिकपंचेन्द्रिय वैक्रियशरीरप्रयोगवंध भी इसी प्रकार का होता है । तथ-शर्कराप्रभापृथिवी से लेकर तमस्तमा શરીર પ્રગબંધ શું દેશબંધરૂપ હોય છે, કે સર્વબંધરૂપ હોય છે ? महावीर प्रभुन। उत्तर-(गोयमा !) गीतम! यशरीर प्रयोग मध (देसव धे वि, सव्यबधे वि) देशमध३५ ५ डाय छ भने समय રૂપ પણ હેય છે (वाउकाइय एगि दिय एव चेव, रयणप्पभा पुढवि नेरइया एवं चेव, एवं जाम अणुत्तरोववाइया) गौतभस्वाभाना प्रश्न-डे महन्त वायुयि सन्द्रिय वठियशरीर પ્રબંધ શું દેશબંધરૂપ હોય છે, કે સબ ધરૂપ હોય છે? મહાવીર પ્રભુ કહે છે કે હે ગૌતમ! વાયુકાયિક એકેન્દ્રિય વૈક્રિયશરીર પ્રગબંધ દેશબ ધરૂપ પણ હોય છે અને સવબંધરૂપ પણ હેાય છે એ જ પ્રમાણે રત્નપ્રભા પૃથ્વી નરયિક પંચેન્દ્રિય ક્રિ. યુશરીર પ્રગબંધ પણ દેશબંધરૂપ પણ હોય છે અને સર્વબંધરૂપ પણ હોય છે,
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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