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________________ भगवतीसूत्र साधुसमुदायस्य विरोधिनः प्रज्ञप्ताः, तानेवाह-' तं जहा कुलपडिणीए, गणपडिणीए, संघपडिणीए ' तद्यथा-कुलप्रत्यनीकः, गणप्रत्यनीका, संघप्रत्यनीकः, तत्र कुलं चान्द्रादिकं, तत्समुदायो गणः-कोटिकादिः, तत्समुदायः संघः, एतेषां प्रत्यनीकताचावर्णवादा (निन्दा) दिभिर्भवति कुलादिलक्षणं चेत्थम् - 'एत्थ कुलं विन्नेयं, एगायरियस्स संतईजा उ। तिण्ह कुलाण मिहो पुण, सावेक्खाणं गणो होइ ॥ १ ॥ सब्बोधि नाणदंसणचरणगुणविहूसियाण समणाणं । समुदाओ पुण संघो, गणसमुदाओ-त्ति काऊणं" ॥२॥ छाया-अत्र कुलं विज्ञेयम् एकाचार्यस्य सन्ततिः या च । त्रयाणां कुलानां मिथः पुनः सापेक्षाणां गणो भवति ॥ १ ॥ सर्वोऽपि ज्ञानदर्शनचरणगुणविभूषितानां श्रमणानां समुदायः पुनः संघो गणसमुदाय इति कृत्वा ॥२॥ गौतम ! (तओ पडिणीया पण्णत्ता) साधुसमुदाय के प्रत्यनीक विरोधी तीन कहे गये हैं (तं जहा) जो इस प्रकार से हैं (कुलपडिणीए, गणपडिणीए, संघपडिणीए) कुलप्रत्यनीक, गणप्रत्यनीक और संघप्रत्यनीक । चान्द्र आदि गच्छ को कुल कहते हैं और कुलोंके समुदाय को गण कहते हैं, और गणों के समुदायको संघ कहते हैं सो इनकी निन्दा आदि करने से करने वाले जीव में प्रत्यनीकता आती है, कुल आदिका लक्षण इस प्रकार से कहा गया है एक आचार्य की संतति का नाम कुल है। तीन कुलों के समूह का नाम गण है। तथा ज्ञान-दर्शन और चारित्र गुण से विभूषित हुए श्रमणों के समूह का नाम संघ अथवा गण समुदाय को संघ कहते हैं । महावीर प्रभुना उत्त२-"गोयमा" र गौतम ! “ तओ पडिणीया पण्णता" साधु समुहायना प्रत्यनी (विराधी) ] वा छे. “ त जहा" ते नए प्रा। मा प्रमाणे छे.-" कुलपहिणीए, गणपडिणीए, संघपडिणीए" ૧ કુલપ્રત્યેનીક, ૨ ગણપત્યનીક અને ૩ સંઘપ્રત્યેનીક ચાન્દ્ર આદિ ગચ્છને કુલ કહે છે. કુલના સમુદાયને ગણું કહે છે, અને ગણોના સમુદાયને સંઘ કહે છે તેમની નિન્દા વગેરે કરનાર જીવને તેમના વિરોધી માનવામાં આવે છે કુલ આદિનું લક્ષણ નીચે પ્રમાણે બતાવ્યું છે-- એક આચાર્યની સંતતિને કુલ કહે છે. ત્રણે કુલેના સમૂહને ગણ કહે છે. તથા જ્ઞાન, દર્શન અને ચારિત્ર ગુણથી વિભૂષિત એવા શ્રમણોના સમૂહને સંઘ કહે છે અથવા ગુણ સમુદાયને પણ સંઘ કહે છે.
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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