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________________ २२० ....... भगवती स्त्र चसितस्य चतुर्थभेदेषु चतुर्थभेदमाह-' से किं तं' इत्यादि । गौतमः पृच्छति-से किं तं सरीरप्पओगबंधे ?' हे भदन्त ! अथ का स्विरूपः कविविधः स शरीरप्रयोगवन्धः ? भगवानाह-' सरीरप्पओगवंधे. पंचविहे पण्णत्ते' हे गौतम ! शरीरप्रयोगवन्धः पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, 'तं जहा-ओरालियसरीरप्पओगवंधे, वेउब्धियसरीरप्पओगवंधे, आहारगसरीरप्पभोगबंधे, तेयासरीरप्पभोगबंधे,' तद्यथाऔदारिक शरीरप्रयोगवन्धः, वैक्रियशरीरपयोगवन्धः, आहारकशरीरप्रयोगवन्धः, तेजसशरीरप्रयोगवन्धः, कार्मणशरीरप्रयोगवन्धः । गौतमः पृच्छति-'ओरालिय सरीरम्पओगवघेणं मंते ! कइविहे पण्णत्ते ? ' हे-भदन्त-! औदारिकशरीरप्रयोगवन्धः कतिविधः, प्रज्ञप्तः ? भगवानाह- गोयमा ! पंचविहे पण्णते' हे गौतम,! चौथा भेद जो शरीरप्रयोगबंध है उसके विषय में गौतम प्रभु से पूछते हैं-' से किं तं सरीरप्पभोगपंधे' हे भदन्त ! शरीरप्रयोग बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं- सरीरप्पओग बंधे पंचविहे पपणत्ते' हे गौतम ! शरीरप्रयोगबंध पांच प्रकार का कहा गया है। 'तं जहा' जो इस प्रकार से है-'ओरालियसरीरप्पओगपंधे, वेउब्धियसरीरप्पओगवधे, आहारगसरीरप्पओगपं घे, तेयासरीरप्पओंगवधे, कम्मासरीरप्पओगधे' औदारिकशरीप्रयोगवन्ध, वैक्रियशरीरप्रयोगबंध, आहारकशरीरप्रयोगबध, तैजस शरीरप्रयोगबंध और फार्मणशरीरप्रयोगवन्ध । ___ अव गौतमस्वामी औदारिकशरीरप्रयोगबंध के विषय में प्रभु से पूछते हैं-' ओरालियसरीरप्पओगबंधे णं भंते ! काविहें पगत्ते ' हे भदन्त ! औदारिकशरीरप्रयोगबंध कितने प्रकार का कहा गया है ? હવે સાદિ સપર્યાવસિત બંધને શરીર પ્રગ બંધ નામનો જે થે सेहतना वि गौतम स्वामी नीय प्रभारी प्रश्न पूछे छ-" से कि वो सरीरप्पओगधे ?” महन्त ! शरी२ प्रयोग मनु स्व३५ वु छ ? __ महावीर प्रभुने। उत्त२-( सरीरप्पओगबधे पंचविहे पण्णत्ते-तं जहा" હે ગોતમ ! શરીર પ્રયોગ બંધના નીચે પ્રમાણે પાંચ પ્રકાર કહ્યા છે– (ओरालियसरीरप्पओगबधे, वेउब्धियसरीरप्पओगबधे, आहारगसरीरप्पओगधे, तेयासरीरप्पओगधे, कम्मासरीरप्पओगव धे) (१) महार: શરીર પ્રગ બંધ, (૨) વૈકિય શરીર પ્રયોગ બંધ, (૩) આહારક શરીર પ્રયોગ બંધ, (૪) તૈિજસ શરીર પ્રગ બંધ અને (૫) કામણ શરીર પ્રગ બંધ. હવે ગૌતમ સ્વામી ઐદારિક શરીર પ્રયોગ બંધ વિષે મહાવીર પ્રભુને मा प्रभार न पूछ । छ-" ओरालियसरीरप्पओगबधेण' भंते ! कइविहे.
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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