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________________ ६३० भगवतीसूत्रे " 6 " प्रतिक्रामन अन्यद्वारा न कारयति कुर्वन्तं वा नानुजानाति वचसा कायेन १९, ' दुविह एगविणं पडिक्कममोणे न करेइ न कारवेइ मणसा २०, विविध प्राणातिपातम् एकविधेन करणेन प्रतिक्रामन स्वयं न करोति, अन्यद्वारा वा न कारयति मनसा इत्यर्थः २०, 'अहवा न करेइ, न कारवेड़, वयसा २१, अथवा द्विविध पूर्वे: प्राणातिपातम् एकविधेन करणेन प्रति क्रामन् स्वयं न करोति, अन्यद्वारा वा न कारयति वचसा २१' ' अहना न करेइ, न कारवे कायसा २२, अथवा द्विविधं माणातिपातम् एकविधेन करन प्रतिक्रामन स्वयं न करोति, अन्यद्वारा वा न कारयति कायेन २२, माणातिपात का द्विविधसे प्रतिक्रमण कराता हुआ वह अन्य द्वारा उसे वचन और कायसे नहीं करता है और न करते हुए की वह उन दोनोंसे अनुमोदना करता है । इस प्रकारसे ये पांचवें विकल्पके ९ भंग हैं । दुविहं एगविणं पडिक्कममाणे न करेड, न कारवेड़ मणसा २० ' विविध प्राणातिपात का एकविसे जब वह प्रतिक्रमण करता है तब वह मनसे उसे स्वयं नहीं करता है और न दूसरे ने उसे कराता है । अहवा न करेड, न कारवेइ, वयसा २१ अथवा जब वह द्विविध प्राणातिपका एकविध प्रतिक्रमण करता है तब वह वचनसे उसे न करता है और वचनसे उसे किसीके द्वारा कराता है । अहवा न करेड़, न कारवेड कायसा २२ ' अथवा जब वह द्विविध प्राणातिपातका एकविधसे प्रतिक्रमण करता है तब वह काय से उसे नहीं करता है और न कायसे उसे किसी दूसरेके द्वारा करेतं णाणुजाण वयसा कायसा १९१ (८) अथवा द्विविध प्रयातिपातनुं द्विविधे પ્રતિકમણુ કરતા શ્રાવક વચનથી અને કાષાથી પ્રાણાતિપાત કરાવતા નથી અને પ્રાણાતિપાત કરનારની તે બન્ને દ્વારા અનુમેાદના કરતા નથી . આ પ્રમાણે પાંચમાં વિકલ્પના નવ ભંગ છે. हुवे सूत्र २ छट्टा विदथना नव लंगनु नीचे प्रभाो प्रतियाहन पुरे - ' दुविहं एगविणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा २० १ (१) द्विविध પ્રાણાતિપ્રાતનું જ્યારે તે એક પ્રકારે પ્રતિક્રમણ કરે છે, ત્યારે (૧) તે પેતે મનથી प्रातिपात उरतो नथी भने अन्य पासे आयातियात उशवतो नथी. अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा २१ (२) अथवा ल्यारे ते द्विविध आष्यातियातनुं शोऽविषे પ્રતિક્રમણ કરે છે, ત્યારે તે વચનથી પ્રાણાતિપાત કરતા નથી અને બીજા પાસે પ્રાણાતિપાત કરાવતા નથી. अहवा न करेइ, न कारवेइ कायमा २२ ' (3) अथवा ल्यारे ते દ્વિવિધ પ્રાણાતિપાતનું એકવિધે પ્રતિક્રમણ કરે છે, ત્યારે તે કાયાથી પ્રાણાતિપાત કરતે नथी मने मील पासे प्रयाथी आयातियात ४शवतो नथी. ' अहवा न करेइ, करेत 6 6
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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