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________________ ६०४ भगवतीसूत्रे नानु जानाति मनसा, ६-अथवा न करोति. न कारयति कुर्वन्तं नानुजानाति वचसा, ७-अथवा न करोति, न कारयति, कुवन्तं नानुजानाति कायेन, ८ द्विविध विविधेन प्रतिक्रामन् न करोति, न कारयति, मनसा वचसा कायेन, ९अथवा न करोति, कुर्वन्तं नानुजानानि मनसा वचसा कायेन, १०-अथवा न कारयति, कुर्वन्तं नानुजानाति मनमा वचसा कायेन, करंतं णाणुजाणइ मणसा, अहदा न करेइ न कारवेइ, करंतं गाणुजाणइ वयसा अहवा-न करेइ, न कारवेइ करतं णाणुजाणइ कायसा) जब वह विविधसे एकविधका प्रतिक्रमण करता हैतब वह मनसे प्राणातिपातको नहीं करता है न कराता है और न करनेवालेकी मनसे अनुमोदना ही करता है । अथवा वचन के द्वारा वह प्राणातिपात नहीं करता है, न कराता है और नं करनेवालेको वह अनुमोदना करता है. अथवा कायसे वह प्राणातिपात नहीं करता है, न कराता है, और न करनेवालेकी वह अनु. मोदना करता है । (दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेड, न कारवेइ, मणप्ता क्यसा, कायसा८) जब वह दो प्रकारके प्राणातिपातका त्रिविधसे प्रतिक्रमण करता है, तब वह मनसे बचनसे और कायसे ही कृत और कारितका त्याग करता है । (अहवा न करेड, करतं पाणुजाणइ, प्रणमा वयसा कायसा९) अथवा मन, वचन और काय संबधो कृत, और अनुमोदना करनेका त्याग करता है। ( अहवा न कारवेइ, करतं णाणुजाणह, मणला, वयसा कायसा) अथवा मनसे वह प्राणातिपातको नहीं करता है और प्राणातिपात करनेवालेकी मगमा, अहवा न करेइ न कारवेइ,करंतं णाणुजाणइ वयसा,अहवा न करेइ न कारवेइ, करतं गाणुजाणइ कायमा ) न्यारे ते विविधनु मे विधे प्रतिभा ४२ छे, त्यारे તે મનથી પ્રાણાતિપાત કરતા નથી, કરવિતા નથી અને કરનારને મનથી અનુમાન દતે નથી. અથવા વચનથી તે પ્રાણાતિપાત કરતો નથી, કરાવતા નથી અને કરનારને અનુમોદના દેતો નથી અથવા કાયાયો તે પ્રાણાતિપાત કરતું નથી, કરાવતા નથી અને કરનારની અનુમેના ४२. नयी (दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा, वयसा, कायसा) यार त मे ४२ प्रतिपाननु त्रिविधे प्रतिभा ४२ छे, त्यारे ते मन, १यन सने याथी प्रातिपात ४२ नयी अने रावत नथी (अहवा - न करेइ, करेत णाणुनाणइ, मणसा, वयपा, कायमा ९) अथवा मन, क्यन भने अययी प्रातिपात ४२तो नयी मने ४२नारने मनुभाहन उरत नथी. ( अहवा-न कारवेइ, करेनं णाणु जागइ, मगसा, वयमा, कायसा ) अथवा मन वयन भने यथी त
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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