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________________ ३६४ भगवतीम्रो यथा सकायिकाः । अभत्रसिद्धिकाः खलु पृच्छा ? गौतम ! नो ज्ञानिनः, अज्ञानिनः, श्रीणि अज्ञानानि भजनया, नोभवसिद्धिका नोअभसिद्धिकाः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः, यथा सिद्धाः, ७ ॥ संज्ञिनः खलु पृच्छा, यथा सेन्द्रियाः, संज्ञिनो यथा द्वीन्द्रियाः, नोसंज्ञिनः नोअसंज्ञिनो यथा सिद्धाः ८|सू. ६ | मिद्धिक जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? ( जहा सकाइया) हे गौतम! सिद्धि जीवोंको सकायिक जीवों की तरह जानना चाहिये। (अभवसिद्धियाणं पुच्छा) हे भदन्त | अभवसिद्धिक जीव क्या ज्ञानी होते हैं ? या अज्ञानी होते हैं (गोयमा) हे गौतम ! ( णो णाणी अन्नाणी ) अभवसिद्धिकजीव ज्ञानी नहीं होते हैं किन्तु अज्ञानी होते हैं । (तिन्नि अन्नाणाई अयणाए) उनमें तीन अज्ञान भजनासे होते हैं । (नोभवसिद्धिया, नोअभवसिद्धिया णं अंते । जीवा किं नाणी. अन्नाणी) हे भदन्त । जो नाभवसिद्धिक, नोअभवसिद्धिक जीव हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? ( जहा सिद्धा ) हे गौतम! नोभयमिद्विक नो अभवसिद्धिक जीव सिद्धोंकी तरह होते हैं । (सनीणं पुच्छा) हे भदन्त ! संज्ञी जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? ( जहा सड़ दिया, असनी जहा वेइंदिया, नोसनी नोअसन्नी जहा सिद्धा ८) हे गौतम ! संज्ञी जीव सेन्द्रिय जीवकी तरह होते हैं असंज्ञी जीव बेहन्द्रिय जीवकी तरह होता है। नोसंज्ञी नोअमंज्ञी जीव सिद्धोंकी तरह होते हैं । नाणी अन्नाणी ' हे भगवन् अवसिद्धि व शुं ज्ञानी होय हे } अज्ञानी ? 'जहा सकाइया' हे गौतम अवसिद्धि लवाना विषयमा सायि भवानी भाई४ समन्युं 'अभवसिद्धियाणं पुच्छा' हे भगवन ! अलवसिद्धि लव શુ જ્ઞાની होय छे ट्ठे अज्ञानी ? ‘गोयमा' हे गौतम! 'नो नाणी अन्नाणी' अभवसि & भुत्र ज्ञानी नाही पणु अज्ञानी होय हे तिन्नि अन्नाणाई भयणाएं ' ते नां भगनाथी ऋणु अज्ञान होय छे 'नो भवसिद्धिया नो अवसिद्धियाणं मंते जावा कि नाणी अन्नाणी' हे भगवन ! ? नोलवसिद्धि मते भवमिद्धि छे ते ज्ञानी होय छे ! अज्ञानी ? 'जहा सिद्धा' હે ગૌતમ! ના ભવસિદ્ધિક અને तो अल-विद्धि लवोना विषयमा सिद्धोनी भाइ सन 'सन्नीणं पुच्छा' हे भगवन ! सज्ञी लव ज्ञाना ऐ है अज्ञानी ? 'जहा सइंदिया असन्नी जहा बेइं दिया नो सन्नी ना असन्नी जहा सिद्धा' हे गौतम! सज्ञी कब सेन्द्रिय જીવની માફક હાય છે. અમ ની જીવ એઇન્દ્રિય જીવેાની માફક હાય છે. ના સનીને સુનો જીવ સિદ્ધોની માફક હેય છે.
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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