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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. १ सू०२१ सूक्ष्मपृथ्वीकायस्वरूपनिरूपणम् २३३ टीका-तिन्नि भंते! दव्वा किं पओगपरिणया, मीसापरिणया, बीससापरिणया ?' हे भदन्त ! त्रीणि द्रव्याणि किं प्रयोगपरिणतानि, मिश्रपरिणतानि, विसापरिणतानि भवन्ति ? भगवानाह - 'गोयमा । पओगपरिणया वा, मीसा परिणया वा ?" सापरिणयाचा हे गौतम ! त्रीणि द्रव्याणि प्रयोगपरिणतानि वा, मिश्रपरिणतानि वा वित्रसापरिणतानि वा भवन्ति १ ' अहवा एगे पओगपरिणए, दो मीसा परिणया ?' अथवा त्रिद्रव्येषु एकं द्रव्यं प्रयोगपरिणतं भवति, हे द्रव्ये मिश्रपरिणते भवतः २, 'अहवा एगे पओगपरिणए, दो वीससापरिणया३' अथवा एकं द्रव्यं प्रयोगपरिणत भवति द्वे विस्रसापरिणते भवतः ४ ' अहवा दो पओगपरिणया, एगे मीसापरिण ४' अथवा द्वे द्रव्ये प्रयोगपरिणते भवतः, एकं मिश्रपरिणतं टीकार्थ - इस सूत्रद्वारा गौतम तीनद्रव्योंको लेकर प्रभुसे ऐसा पूछते हैं कि 'तिनि भंते ! दव्वा किं पओगपरिणया, मीसापरिणया, वीसमापरिणया' हे भदन्त ! तीन द्रव्य क्या प्रयोग परिणत होते हैं? या मिश्रपरिणत होते हैं ? या वित्रसापरिणत होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'पओगपरिणया वा, मीसापरिया वा, वीससापरिणया वा' तीन द्रव्य प्रयोगपरिणत भी होते हैं मिश्रपरिणत भी होते हैं, और वित्रसापरिणत भी होते हैं । 'अहवा एगे पओगपरिणए, दो मीसापरिणया' अथवा तीनद्रव्योंमें से कोई एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है और दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं १ | ' अहवा एगे पओगपरिणए, दो वीससा परिणया, अथवा एकद्रव्य प्रयोगपरिणत होता है दो द्रव्य विस्रसापरिणत होते २, 'अहवा दो पओगपरिणया, एगे मीसापरिणए' अथवा दो द्रव्य प्रयोगपरिणत होते ટીકા- આ સુત્ર દ્વારા ગૌતમ રવામી ત્રણ દ્રવ્યેને ઉદેશીને પ્રભુને એવું यूछे छे - 'तिम्नि भंते दव्वा किं पओगपरिणया, मीसापरिणया, वीससापरिणया' હે ભગવન ત્રણ દ્રવ્યે શુ પ્રયાગપરિણત હોય છે કે મિશ્ર પરિણત હોય છે કે વીસસા પરિણત હોય છે? उत्तर- 'गोयमा' हे गौतम 'पओगपरिणया वा, मीसापरिणया वा, वीससा परिणया वा' ऋणु द्रव्यश्योगपति मिश्र परित भने विससायरिणुन छ 'अहवा एगे पओगपरिणए, दो मीसा परिणया' अथवा त्राणु द्रव्योમાંથી કોઇ એક દ્રવ્ય પ્રયોગ પરિણત હેાય છે. અને એ દ્રવ્ય મિશ્ર પરિણિત હાય છે. ૧ " अहवा एगे पओगपरिणए, दो वीससा परिणया' अथवा येउ द्रव्य प्रयोगयरिष्युत होय छे में द्रव्य विससा परिणत होय छे २ अहवा दो पर्योगपरिणया, एगे मीसा
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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