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________________ ७१२ भगवतीको तेनार्थेन यावत् रथमुसलः स ग्रामः । रथमुसले खलु भदन्त ! स ग्रामे वर्तमाने कतिजनशतसाहरुयो हताः ? गौतम! पण्णवतिः जनशतसाहस्यो हताः। ते खलु भदन्त ! मनुष्याः निश्शीलाः यावत् उपपन्नाः ? गौतम ! तत्र खलु दशसाहस्यः एकस्या मत्स्याः कुक्षौ उपपन्नाः, एके देवलोकेषु. उपपन्नाः, ही रथ मुसल सहित होकर बहुतसे मनुष्योंका संहार करता हुआ, वध करता हुआ उन्हें मर्दित करता हुआ, उनमें प्रलय मचाता हुआ एवं लोहूकी कीचडको उछालता हुआ इधरसे उधर चारों तरफ दौडता रहता है इस कारण इस स ग्रामका नाम रथमुसल ऐसा हुआ है । (रहमुसलेणं भंते ! संगाले वट्टमाणे कइ जणसयसाहस्सीओ वहियाओ ? हे भदन्त ! जिस समय रथमुसल संग्राम हो रहा था तब उसमें कितने लाख मनुष्योंका संहार हुआ ? (गोयमा) हे गौतम ! (छण्ण उई जणसयसाहस्सीओ) ९६ वे लाख मनुष्योंका संहार उस रथमुसल संग्राममें हुआ है । (ते णं भंते ! मणुया निस्सीला, जाव उपवना) हे भदन्त ! इस रथमुसल संग्राममें शीलरहित आदि पूर्वोक्त विशेषणवाले मनुष्य यावत् कहां उत्पन्न हुए हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (नत्थ णं दस साहस्सीओ एगाए मच्छीए कुच्छिसि उववनाओ) इनमें से दश १० हजार मनुष्य तो एक मछलीके उदरमें उत्पन्न हुए (एगे देवलोएन उववन्ना) कितनेक देवलोकोंमें उत्पन्न हुए સારથીથી રહિત અને દ્ધાથી રહિત એક જ રથ મુસળથી યુકત થઈને ઘણા માણસને સંહાર કરતા, ઘણાં માણસને ઘાયલ કરતે, તેમનું માનમર્દન કરતો, તેમનામાં પ્રલય મચાવતે, અને લેહીની ધારાઓને ઉડાડતે આમતેમ ચારે દિશાઓમાં દેડતે રહે છે. गीतम! ते ४.२णे ते सामने '२थभुसख संग्राम' 83 छे (रहमुसलेणं भंते ! सगामे वट्टमाणे कइ जणसयसाहस्सीओ वहियाओ?) हे महन्त ! न्यारे રથમુસલ સંગ્રામ ચાલી રહ્યો હતો, ત્યારે કેટલાં લાખ માણસને સંહાર થયા હતા? (गोयमा !) 3 गौतम ! (छण्णउई जणसयसाहस्सीओ वहियाओ) ते साममा ८६ माम भाणुसे भार्या या ता. (तेणं भंते ! मणुया निस्सीला जाव उववन्ना?) હે દત! તે રથમુસલ સંગ્રામમાં માર્યા ગયેલા નિ શીલ આદિ વિશેષણવાળા મનુષ્ય ४७ गतिमा उत्पन्न या छ ? (गोयमा) गौतम! (तत्थणं दस साहस्सीओ एगाए मच्छीए कुच्छिसि उववनाओ) माना १० १२ भायुसे। तो म भालीन BRमा अत्यन्त थया उता. (एगे देवलोएम उववन्ना) मा पसभा
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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