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________________ प्रमैयचन्द्रिका टीका० शं० ५ १० ८ ०३ जीवादिवृद्धिहाम्यादिनिरूपंगम् ६६६ नो वा सापक्याः हानिमन्तो वा भवन्ति, विद्यमानजीवानामजीवत्वेन परिणत्य भावात् 'णो सोवचय-सावचया' नो वा सोपचय-सापचयाः भवन्ति, जीवानां वृदिहान्योरभावात् , अत एव जीवाः 'निरुवचय-निरवचया' निरुपचयनिरपचयाः वृद्धिहानिरहिताः यथावस्थिता एव भवन्ति, । अथ उपचयस्य वृद्धिरूपत्वेन, अपचयस्य च हानिरूपत्वेन भवतु भङ्गद्वयम् , किन्तु युगपद् उपचयापचयसहितस्य निषेधः, युगपद् उपचयापचयरहितस्य च अवस्थितत्वही रहती है (णो सावचया) जीवराशि सापचय नहीं है-क्यों कि जीवराशि में कोई भी जीव कभी भी अजीवरूप में परिणत नहीं होता है । अजीवरूप से यदि वह परिणत होता तो उस राशि में कमी होती (णो सोवचयसावचया) इसी प्रकार से ऐसा भी नहीं है कि एक तरफ नवीन जीव उत्पन्न होकर उसमें मिलते जावें और दूसरी तरफसे उसमें उतने ही निकल कर दूसरे रूपमें परिणत होते जावें इस तरह वृद्धि और हानि का अभाव होने के कारण जोव सोपचय और सावचय भी नहीं है । किन्तु वे तो (निरुवचया-निरवचया) निरुपचय और निरपचय हैं-नवीन हानि वृद्धि के अभाव होने के कारण यथावस्थित हैं। शंका-उपचय वृद्धिरूप होता है और अपचय हानिरूप होता है-इस तरह से उपचय और अपचयसंबंधी दो भंग तो बन जाते हैं परन्तु युगपत् उपचय और अपचय सहित का जो निषेध किया गया " णो सावचया राशि अ५यय (नि) थी युत ५ हाती नथी, કારણ કે જીવરાશિમાંથી કઈ પણ જીવ કદી પણ અજીવરૂપે પરિણમતે નથી. જો તે અવરૂપે પરિણમતો હોત તે જીવરાશિમાં અપચય (સંખ્યામાં घटा) थता हात. (णो मोवचयावचया) मे ५९ मनतुं नथी १ मे તરફથી નવીન ઉત્પન્ન થઈને તેમાં મળી જતાં હોય અને બીજી તરફથી એટલાં જ જીવે તેમાંથી નીકળી જઈને અન્યરૂપે પરિણમન પામતા હોય. આ રીતે વૃદ્ધ અને હાનિને અભાવ હોવાથી જીવરાશિ ઉપચય-અપચય भन्नेथी युरत पर नथी. ५२तुते “ निवचया-निरवचया" ५-यय-अपयय તે બનેથી રહિત હોય છે. નવીન વૃદ્ધિ અને હાનિને અભાવ હોવાથી જીની સંખ્યામાં વધારે કે ઘટાડે સંભવતું નથી તેથી યથાવસ્થિત જ રહે છે. શંકા–ઉપચય વૃદ્ધિરૂપ હેય છે અને અપચય હાનિરૂપ હોય છે. આ રીતે ઉપચય અને અપચયના બે ભંગ (વિક) તે બની જાય છે. પણ ... . . .. .
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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