SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 501
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ___. .. .. . .. भगवतीसूत्रे नो देशैः देशान् स्पृशति ५, नो देशैः सर्व स्पृशनि ६, नो सर्वेग देशं स्पृशति ७, नो सर्वेण देशान स्पृशति ८, सर्वेण' सर्व स्पृशति ९, । एवं परमाणुपुद्गलो द्विप्रदेशिकं स्पृशन् सप्तम-नवमाभ्यां स्पृशति, परमाणुपुद्गलः त्रिप्रदेशिकं स्पृशन् निष्पश्चिमकैनिभिः स्पृशति, यथा परमाणुपुद्गलत्रिपदेशिकं स्पर्शितः, अपने एक देश से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है । (जो देलेणं सव्वं फुसह ) न अपने एक देश से वह उसका पूर्णरूप से स्पर्श करता है । (णो देसेहिं देस फुसह ) न वह अपते अनेक देशों से उसके एक देश का स्पर्श करता है (णो देसेहिं देसे फुसइ ) न वह अपने अनेक देशों से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है (णो देसेहिं सव्वं फुसइ) न वह अपने अनेक देशों से उसे सम्पूर्णरूप से स्पर्श करता है, (णो सब्वेण देसं फुसइ) न वह अपने संपूर्णता से उसके एक देश का स्पर्श फरता है, (णो सम्वेणं देसे फुसइ ) न वह अपनी समस्तता से उसके अनेक देशो का स्पर्श करता है, किन्तु-(सवेणं सव्वं फुसइ) सर्व से उसे सम्पूर्णरूप से स्पर्श करता है । ( एवं परमाणु पोग्गले दुप्पएसिय फुसमाणे सत्तमणवमेहिं फुसइ) इस तरह द्विप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ परमाणुपुद्गल उसे सातवें और नवमें विकल्प की अपेक्षाके अनुसार स्पर्श करता है । (परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसमाणे पच्छि. घोताना मे माथी तना मने मानाना स्पर्श २ नथी, (णो देसेणं सव्वं फुसइ) पाताना मे लागथी तना आधा लगानी २५ ४२तुं नथी, (णो देसेहिं देसं फुसइ) पाताना मने लानाथी तना से सामना २५ ४२तु नथी, (णो देसेहि देसे फुसइ) पाताना मन सागथी तेना भने भागना स्पर्श ४२ नथी, ( णो देसेहि सव्व फुसइ) पाताना से साथी तेना मधा लागानी २५० ४२ नथी, (णो सम्वेण देस फुसई) पाताना समस्त मागायी तेना मे भागना स्पशः ४२ नथी, (णो सव्वेण देसे फुसइ) पोताना समरत भागाथी तेना भने सामाना २५ ४२तु नथी, (सव्वेण' सव्व फुसह) परन्तु पाताना सभरत सागाथी तेना सभरत ભાગને સ્પર્શ કરે છે. (एवं परमाणुपोगले दुप्पएसियं फुसमाणे सत्तमणवमेहि फुसइ) मे પ્રમાણે દ્વિદેશી (બે પ્રદેશોવાળા) પુદ્ગલ સ્કને સ્પર્શ કરતું પરમાણુ पुस, सातमा भने नवम विE५ अनुसार तक ९५ ४२ छ. (परमाणु पोग्गले तिप्पएसियं फुसमाणे पच्छिमेहि तिहि फुसइ) तथा विदेशी ya
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy