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________________ प्रमेयचन्द्रिका टी०N०५ उ०७ खू०४ परमाणुपुन्नलादीनां स्पर्शनानिरूपणम् ४८ देशं स्पृशति १, देशेन देशान् स्टेशति २, देशेन सर्व स्पृशति ३, देशैः देशं स्पृश ति ४, देशैः देशान् स्पृशति ५, देशैः सर्व स्पृशति ६, सर्वेण देशं स्पृशति ७, सर्वेण देशान् स्पृशतिद,सर्वेण सर्व स्पृशति९, गौतम ! नो देशेन देशं स्पृशति१, नो देशेन देशान् स्पृशति २, नो देशेन सर्व स्पृशति ३, नो देशैः देशं स्पृशति ४, (परमाणु पोग्गलं ) जो दूसरे परमाणुपुद्गल की (कुसमाणे) स्पर्शना करता है सो (किं) क्या (देलेणं देसं फुसइ ) अपने एक देश से उसके एक देश का स्पर्श करता है ? (देसेणं देसे फुसइ) अथवा अपने एक देश से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है ? या (देसेणं सव्वं फुलइ ) अपने एक देश से उसका पूरा स्पर्श करता है ? (देसेहिं देसं फुसइ) या-अपने अनेक भागों से उसके एक देश का स्पर्श करता है ? ( देसेहिं देसे फुसइ) या अपने अनेक भागों से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है ? (देसे हिं सव्वं फुलह ) या अपने अनेक देशों से उसे पूरे रूप में स्पर्श करता है ? (सम्वेणं देसं फुसइ, सव्वेणं देसे फुसइ, लवेणं सन्वं फुसह ) या अपनी पूर्णता से-अपने समस्तभागों से-उस के एक देश का स्पर्श करता है ? या अपनी पूर्णता से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है ? या अपनी पूर्णता से अपने समस्त भागों से उसे पूर्णरूप से स्पर्श करता है ? (गोयमा ) हे गौतम ! (णो देसेण देसं फुसइ) वह पुनलपरमाणु दूसरे पुद्गल परमाणु के अपने एक देश से एक देश को स्पर्श नहीं करता है । (णो देसेणं देसे फुसइ)न (परमाणुपुग्गल फुसमाणे) ular ५२मा पुस २५ रे छ, (किं देसेणं देस फुसइ) तशुपताना मे शथी (साथी) तेन शिना २५० ४२ छ १ अथवा (देसेण देसे फुसइ) पोताना मे शथा तेना ने देशोना स्पर्श ४२ छ ? अथवा (देसेणं सव्वं फुसइ) पाताना मे शिथी तना मामा मागनी २५० ४३ छ ? मथवा (देसेहिं देसे फुसइ) पोताना भने शोथी ( लामाथी) तेना मे शनी २५ ४३ छ। (देसेहिं देसे फुसइ) अथवा पोताना मन लागोथी तना भने लागानी पश ४२ छ ? (सव्वेण देस फुसइ, सव्वेण देसे फुसइ, सम्वेण सव्वं फुसह) અથવા પિતાના બધા ભાગોથી તેના એક ભાગને સ્પર્શ કરે છે? જઘા પિતાના બધા ભાગોથી તેના અનેક ભાગોનો સ્પર્શ કરે છે ? मथका पोतानमा लागाथी त मया लागानी ५ रे छ ? 'गोयमा " गौतम! (णो देसेण देस फुसइ.) ते परभार पाताना मे लाया भील ५२भार पुराना मे भागना १५ ४२ नथी, (णो देसण देसे फुसइ)
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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