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________________ प्रेमैयचन्द्रिका टीका श० ५ उ० ६ ० ६ नैरयिकविकुर्वेणाप्ररूपणम् ४२१ " छाया - नैरयिकाः खलु मदन्त । किम् एकत्वं प्रभवो त्रिकुर्वितुम् पृथक्त्व प्रभवो विकुर्वितुम् ? यथा - जीवाभिगमे आलापकस्तथा ज्ञातव्यो यावत् - दुर ध्यासाम् ।। ० ६ । टीका - नैरयिकप्रसङ्गात् तद्विशेपवक्तव्यतामाह - ' नेरइयाणं भंते ! किं एतं भू विउचितए, हुतं पभू विउच्चित्तर ?' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त ! नैरयिकाः नारकाः खलु किम् आयुधविशेषाणाम् एकत्वम्, एकत्वेन रूपेण शस्त्रम् आयुधविशेषमित्यर्थः विकुर्वितुं विकुर्वणया निष्पादयितुं प्रभवः समर्थाः ? नेरइयाणं भंते !' इत्यादि । सूत्रार्थ - (नेरइयाणं भंते ! किं एगन्तं पभू विउच्चित्तए, पुहुत्तं पभू विचित्त ) हे भदन्त ! नारक जीव जो विकुर्वणा करते हैं सो क्या एक ही आयुध आदि की विकुर्वणा करते हैं कि अनेक आयुध आदि की विकुर्वणा करते हैं ? ( जहा जीवाभिगमे आलावगो तहा नेयवो जाव दूरहिया से ) हे गौतम! जीवाभिगम सूत्र में जैसा आलापक इस विषय में कहा है वही आलापक यावत् ( दुरहिया से ) इस शब्द तक यहाँ जानना चाहिये । " टीकार्थ- नैरयिक के प्रसङ्ग से नैरयिकों की विशेष वक्तव्य को इस सूत्रद्वारा सूत्रकार प्रकट कर रहे हैं - इस में गौतम स्वामी प्रभु से पूछते हैं कि (नेरइयोणं भंते । किं एगन्तं पभू विउवित्त, पुहुत्तं पभू विउवित्तए) हे भदन्त ! एक नारक जीव एक ही आयुध विशेष की (नेरयाण' भरते ! ) छत्याहि- सूत्रार्थ - (नेरइयाणं भवे ! किं एगत्तं पभू विव्वित्तए, पुहुत्तं पभू विविAC ? ) હે ભદ્દન્ત ! નારક જીવા એક જ આયુષ શસ્ત્ર આદિની વિકČણા કરી शे छे, } अनेङ आयुध माहिती विदुर्वा मेरी शडे छे १ (जहा जोवाभिगमे आलविगो तहा नेयन्त्र जाव दुरहियासे ) हे गौतम! या विषयने अनुसक्षीने वालिगम सूत्रमां ने आता हे छे, येवो आसा ( दुरहिया से ) આ પદ સુધી અહીં પણ ગ્રહણ કરવે. ટીકા – ઉપરના સૂત્રમાં નારકાના ઉલ્લેખ થયા છે. તેથી તેમને અનુલક્ષીને સૂત્રકાર આ સૂત્રદ્વારા વિશેષ નિરૂપણ કરે છે—ગૌતમ સ્વામી મહાવીર પ્રભુને सेवा प्रश्न पूछे छे ! ( नेरइयाणं भते कि एगन्तं पभू विउव्वित्तए, पुहुत्त पभु विउन्त्रित्तर) हे महन्त ! शेड ना२४ व ४ ४ आयुध विशेषनी विठुला
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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