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________________ - - भगवतीसूत्र -तृतीययोः एको गमः । अग्निकायः खलु भदन्त ! अधुनोज्ज्वलितः सन् महाकर्म तराय चैत्र, महाक्रियातराए चैत्र, महास्रवतराय चैव, महावेदनतराय चैव भवति, अथ समये समये व्यपकृष्यमाणः, व्यपकृष्यमाणश्चरमकालसमये अङ्गारभूतः, मुर्मुरभूतः छारिक (भस्मी) भूतः, ततः पश्चात् अल्पकर्मतराय चैत्र, अल्पक्रिय तराय, अल्पासवतराय, अल्पवेदनतराय चैव भवति ? हन्त, गौतम ! अग्निकायः अधुनोज्ज्वलितः सन् तदेव ।। मू० २ ॥ का गम समान है। दूसरे और तीसरे आलापक का गम समान है। ऐसा जानना चाहिये । (अगणिकोए णं भंते ! अहुणोज्जणिए समाणे महाकम्मतराए चेव, महाकिरिय महासव-महावेयणतराए चेव भवइ) हे भदन्त ! इसी समय प्रज्वलित किया गया अग्निकाय महाकर्मबंध के लिये, महापायरूप क्रिया के लिये, महा आस्रव के लिये और महावेदना के लिये होता है क्या ? (अहे णं समए समए वोकसिन्जमाणे चरिमकालसमयसि इंगोलभूए, मुम्मुरन्भूए, छारियन्भूए) तथा वही अग्निकाय जब समयानुसार क्रम २ से कम होने लग जाता है अर्थात् वुझ ने की अवस्था की ओर सन्मुख होने लगता है और अन्तिम समय में अंगाररूप अवस्था वाला बन कर जब मुम्,र अवस्था वाला बन जाता है, एवं भस्मरूप अवस्था में आ जाता है (तओ पच्छा अप्पवेयणतराए चेव, अप्पकिरियतराए चेव, अप्पासवतराए चेव, अप्पवेयणतराए चेव भव ?) तब क्या वही अग्निकाय अल्पकर्म बंध के लिये, अल्प क्रिया के लिये, अल्प आस्रव के लिये और अल्पवेदना ભાવાર્થ સરખે છે અને બીજા અને ત્રીજા આલાપકને ભાવાર્થ પણ સરખે છે એમ સમજવું. (अगणिकाए णं भते ! अहुणोज्जलिए समाणे महाकम्मतराए चेव, महाकिरिय महासव-महावेयणतराए चेव भवइ?). Herd ! म समय प्रदायवाभां આવેલ અગ્નિકાય શુ મહાકર્મબંધનું, મહા પાપરૂપ ક્રિયાનું, મહા આસ્સવનું भने भा वहनानु निमित्त मन छ ? ( अहेणं समए वोकेसिज्जमाणे चरिमकोल. समयसि इंगालब्भुए, मुम्मुरब्भुए, छारियभुए) तथा मे मयि न्यारे સમય વ્યતીત થતાં ક્રમે ક્રમે ઓછો પ્રજવલિત થવા માંડે છે–એટલે કે ઓલવાઈ જવા લાગે છે, અને આખરે અંગાર રૂપે બની ઉપર ઉપરથી એલपाने छेक्ट राम ३२ परिशुभी (मनी ) Mय छ. (तओ पच्छा अपकम्मतराए चेत्र, अपकिरियतराए चेव, अप्पवेयणतराए चेव भवइ ?) त्यारे शु એજ અગ્નિકાય અલ્પ કમબંધનું, અલ્પ પાપરૂપ ક્રિયાનું, અલ્પ આસવનું અને અલ્પ વેદનાનું નિમિત્ત બને છે.
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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