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________________ अथ चतुर्थीदेशकः प्रारभ्यतेपञ्चमशतकस्य चतुर्थीदेशकस्य संक्षिप्तविषयविवरणम् ॥ छद्मरथमनुष्यः शशृङ्ग-शद्धिका-खरमुखी-पोता-परिपरिया पणव-पटह -भभा-होरंभ-भेरी-झल्लरी-दुदुभि-शद्वान् शृणोति नवेति गौतमस्य प्रश्नः, स्वीकारात्मकं भगवतः समाधानम् , तत-वितत-धन-शुपिरशब्दाः स्पृष्टाः श्रयन्ते अस्पृष्टा वेति गौतमस्य प्रश्नः स्पृष्टा एव श्रूयन्ते इति समाधानं च ! ततः आराद गताः इन्द्रियगोचराः शब्दाः श्रूयन्ते पारगता इन्द्रियागोवरा वेति प्रश्नः, मनुष्याणां कृते इन्द्रियगोचराः, केवलिनां कृते तु सर्वे शब्दाः श्रूयन्ते इत्युत्तरम् । पंचमशतक का चतुर्थ उद्देशक प्रारंभइस उदेशकका विषय विवरण संक्षेप से इस प्रकारसे है छनास्थ मनुष्य शंखके शृंगके, शंखीकाके, खरमुहीके, पोताके, परिपिरियाके, पणवके, पटके, संमाके, झल्लरी के दुंदुभिके शब्दोको सु. नता है या नहीं सुनता है ? गौतम का ऐसा प्रश्न, हां सुनता है प्रभुका ऐसा समाधान । तल, वितत, घन, सुषिर इन शब्दोंको यदि वह सुनता है तो ये जब स्पृष्ट होते हैं तब सुनतो है या स्पृष्ट नहीं होते हैं तब भी सुनता है ? इस प्रकार का गौना का प्रश्न। ये स्पष्ट होने पर ही सुने जाते हैं ऐसा प्रभुका समाधान । पास में रहे हुए शब्द सुनने में आते हैं कि दूर रहे हुए शब्द सुनने में आते हैं ? ऐसा गौतम का प्रश्न, मनुष्य-इन्द्रिय गोचर हुए शब्दों को एवं केवली भगवान् समस्त शब्दो को सुनते हैं ऐसा प्रभुका उत्तर केवलीभगवान् के ज्ञान પાંચમાં શતકને ઉદ્દેશક પ્રારંભ– આ ઉદ્દેશકને સંક્ષિપ્ત સારાંશ નીચે પ્રમાણે છે ગૌતમ સ્વામી મહાવીર પ્રભુને એ પ્રશ્ન પૂછે છે કે “છદ્યસ્થ મનુષ્ય शम, श्रृंग, मि, मरभुमी पोता, परिपरिता, ढास, ५८, ममाडाम, ભેરી, ઝાલર, દુદુભી આદિ વાદ્યોના નાદ સાંભળે છે કે નથી સાંભળતે ? प्रभु वाम माछ-" , सलणे छे." प्रश्न- "तत (ततुवायोनी सपा ), वितत (टी वगैरेनी भा) ઘન (કરાળ આદિને અવાજ ). શુષિર (વાંસળી આદિનો અવાજ ) આદિ પ્રકારના અવાજને જે તે સાંભળે છે તે સ્પષ્ટાવરથામાં સાંભળે છે કે અસ્પૃછાવસ્થામાં સાંભળે છે ?” उत्तर-" स्पृष्टावस्थामा समजे छ." પ્રશ્ન પાસેને નાદ (આવાજ) સાંભળે છે કે ઘરને અવાજ સાંભળે છે? ઉત્તર–“ મનુષ્ય ઈન્દ્રિય ગેચર થયેલા શબ્દને સાંભળે છે, અને
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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