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________________ - - प्रमेयचन्द्रिका रीका श० ५ उ० ३ सू०१ अन्यतीथिकमिथ्याज्ञाननिरूपणम् १५३ मविका युष्कं वा, परमविकायुकं वा, यं समयम् इहभविकायुष्कं प्रतिसंवेदयति, नो तं समयं परमविकायुष्कं प्रति संवेदयति, यं समयं परमविकायुष्कं प्रतिसंवेदयति, नो तं समयम् इहभविकायुप्कं प्रतिसंवेदयति, इहभवायुष्कस्य प्रतिसंवेदनायाम् नो परभवायुष्कं प्रतिसंवेदयति, परभवायुष्कस्य प्रतिसंवेदनायाम् नो इहसमएणं एगं आउयं पडिसंवेदेइ ) इस तरह गूथे रहने पर भी एक जीव एक समय में एक ही आयुकर्म को भोगता है। दो आयुओं को नहीं भोगता है। (इहभवियाउयं वा परभविया उयं वा ) या तो वह इस भवसंबंधी आयु को भोगता है या परभव संबंधी आयु को भोगता है। (जं समय इहभवियाउयं पडिसंवेदेह नो तं समय परभवियाउयं पडिस वेदेह ) जिस समय में जीव इस भवनबंधी आयु को भोगता है उस समय में परभवसंबंधी आयु को नहीं भोगता है (जं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ) और जिस समय में परभव संबंधी आयु को भोगता है (नो तं समय इहभवियाज्यं पडिसंवेदेइ) उस समय में इस भवसंबंधी आयु को नहीं भोगता है (इहभवियाउस्स पडिसं. वेयणाए नो परभवियाउयं पडिसंवेदेइ ) इह भव संबंधी आय को भोगने के लिये परभवसबंधी आयु को भोगने की आवश्यकता नहीं है (परभवियाउयस्स पडिसवेयणाए नो इहभवियाउयं पडिसंवेदेह ) इसी तरह से परभवसंबंधी आयु को भोगने के लिये इसभवसंबंधी आयु को भोगने की आवश्यकता नहीं है । ( एवं खलु एगे जीवे एगेणं આ રીતે ગૂંથાયેલા રહેવા છતાં પણ એક જ એક સમયે એક જ આયુકभनु वहन उरत नथी ( इहभवियाउयं वा परभत्रियाउय वा) sil ते ! ભવના આયુનું વેદન કરે છે, અથવા પરભવના આયુનું વેદન કરે છે. (૪ समय इहभवियाउय पडिसंवेदेइ, नो त समय परभषियाउय पहिसवेदेइ)२ સમયે જીવ આ ભવના આયુને ભેગવતે હોય છે, તે સમયે પરભવના मायुन सागपत। नथी भने (ज' समय परभवा उयं पडिसंवेदेइ) न्यारे ५२ सपना मायने लागवतो डाय छ, (नो त समय इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ त्य रे मालपना मायुन सागवत नथी ( इहभवियाउस्स पडिसवेयणाए नो परमवियाउय पडिसंवेदेइ) मा सपना आयुने सागवाने भाट परमवना मायुने नागवानी मा१श्यता नथी, (परभवियाउयस्स पडिसवेयणाए नो इह भवियाउय पडिसंवेदेइ ) गने ५२सपना मायुने बागवाने माटे या सपना मायुने बागवानी २१.वश्यता नथी (एवं खल एगे जीवे एगेण समएण भ० २०
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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