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________________ -- - भगवनीमूने भाविअप्पणो अयमेयारूवे विसये विसयमेत्ते चुहए, जो चे. वर्ण संपत्तीए विउब्बिसु वा, विउब्धिति वा विउब्बिस्सति वा एवं परिवाडीए यव्वं, जाव-संदमाणिया; से जहानामए केइ पुरिसे असि-चम्मपायं गहाय गच्छेना, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा असि-चम्मपायहत्थ-किच गएणं अप्पाणेणं उड्ढे वेहायसं उप्पइज्जा ! हंता, उप्पइज्जा, अणगारे णं भंते! भावियप्पा केवइयाइं पभू, असि-चम्म हत्थकिञ्चगयाई रूबाई विउवित्तए ? गोयमा! से जहानामए जुबई जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेजा, तं चेव जाव-विउविसु वा, विउर्वति वा, विउविस्संति वा, से जहां नामए केइ पुरिसे एगओ पडागं काउं गच्छेजा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा एगओ पडागा हत्थकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढे वेहायसं उप्पएजा! हता, उप्पएज्जा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवइआई पभू एगओ जपणोवइअ किच्चगयाइं रूवाइं विकुवित्तए ! तंचे जावविकुविसुवा, विकुवंति वा, विकुविस्संति वा, एवं दुहओजण्णो वइयं वि, से जहानामए केइ पुरिसे एगओ पल्हहत्थिों काउं चिट्रेजा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा ? एवंचेव जावविकुविसु वा, विकुब्वंति वा, विकुहिस्संति वा, एवं दुहओ पल्ह हथि *पि. से जहा नामए केइ पुरिसे एगओर्गलयंकं काउं निजा! तं चेव जाव-विकुविसु वा, विकुवंति वा, विकुविस्संति वा, एवं दुहओ पलियकं पि ॥ सू० १ ॥
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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