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________________ ५१४ भगवतीमो. फमपि शक्रो देवेन्द्रः देवरानो दिव्यां देवदिम् यावत्-अमिसमन्वागताम् , तद्जानीमस्ताय शकस्य देवेन्द्रस्य देवरानस्य दिव्यां देवदि यायव-अमिसमनागताम् जानातु तावद-अस्माकमपि शनो देवेन्दः, देवराजो दिव्यां देवदि यावत अभिसमन्यागताम् , एवं खलु गौतम ? अमुरकुमाराः देवाः ऊर्वम् उत्पतन्ति, यावद-सोध:कल्पः , तदेवं भगवन ! तदेवं भगवन् इति, म्र०१३|| चमरः समाप्तः ॥ देविंदे देवराया दिव्यं देविडि जाव अभिसमण्णाग) तथा वह देवे. न्द्र देवराज यावत् अभिसमन्यागत हमारी दिव्य देवद्धिको देखे । तं जाणामो ताव सफस्स देविंदस्स देवरपणो दिव्यं देवहि जाव अभिसमण्णागयं) तथा देवेन्द्र देवराज शक की दिव्य देवर्दिको कि जिसे उसने यावत् अभिसमन्वागत की है हम जाने तथा (जाणउ ताव अम्हे चि सके देविंदे देवराया दिव्वं देविडूिढं जाव अभिसमन्नागयं) वह देवेन्द्र देवराज शक भी हमारी यावत् अभिसमन्वागत दिव्यदेवर्द्धिको जाने (एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा उडूढ़ उप्प. यति जाव सोहम्मो कप्पो) हे गौतम ! इस कारण को लेकर असुरकुमारा देवा उडूदं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो) हे गौतम ! इस कारण को लेकर असुरकुमार देव यावत् सौधर्मस्वर्गतक ऊँचे जाते हैं ! (सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति) हे भदन्त ! जैसा आपने प्रतिपादित किया है वह सर्वथा सत्य है-सर्वथा सत्य है। (चमरो सम्मत्ती) चमरसंबंधी वृत्तान्त समाप्त हुआ || वि सक्के देविंदे देवराया दिव्यं देविहिं जाव अमिसमण्णागय ) भने हेवेन्द्र ११२४ २४ अभे प्रात ४२सी दिव्य वद्धि नवे. (तं जाणामो ताव सकस्स देविंदस्स देवरग्यो दिव्वं देविड्डि जाव अभिसमण्णागयं) तथा हेवेन्द्र हेरा AB प्रापत ४२वी दिव्य पनि माप mell भने (जाणउ ताव अम्हे वि सक्के देविंदे देवराया दिव्यं देविडिझं नाव अभिसमण्णागयं) हेवेन्द्र ३१२००४ : ५y आप प्रात ४२सी हि०य पद्धिन . (एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा उइदं उप्पयंति नाव सोहम्मो कप्पो) हे गोतम ! ते २0 असुरसुमार वा सोध ४६५ सुधा जाये तय छे. (सेवं भंते ! सेवं भंते ति) 3 मई-d! मापनी વાત તદન સાચી છે તેમાં શંકાને કેઈ સ્થાન નથી. એમ કહીને વંદણા નમસ્કાર शन गौतम स्वामी तभनी श्याम सा गया. (चमरो सम्मत्तो) यमरेन्द्रनु વૃતાંત સમાપ્ત થયું.
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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