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________________ ४७४ भगवतीने पेक्षया द्विगुणितापोलोकगमनकालखण्डम्. अपोलोकगमने अकस्य मन्दगतित्वाद द्विगुणितत् ममाणस्य पावक्ष्यमाणमात 'सवकसस उपयणकाले, चमरस्स ये उपयणकाछे एएणं दोटि विचल्ला'ति । एवं-जावतियं खत्तं चमरे अमरिंदे, अमुरराया अहे उपपर, इपकेणं समएणं, तं सरके दोण्डि'ति' इति वचनद्वयमबसेयम् । छाया-शक्रस्प उत्पतन कालः, चमरस्य च उत्पतनकालः, एतो खलु द्वावपि तुल्यो, इति, यावन क्षेत्रं चमरः अमरेन्द्रः अमरराजः अपः उत्पठति, एकेन समयेन, तत् शक्रः छाभ्याम् ।। - अथ चमरस्य तविपरीतमाह-जायतियं खेत्तं' इत्यादि । यावस्कं यदवधिक क्षेयं 'चमरे अमुरिंदे अमुरराया' चमरः अमरेन्द्रः, अमुरराजः 'अहे ओवयई' अधोऽवपतति 'एगेणं समएणं' एकेन समयेन ' सक्के दोहि' वत् क्षेत्रम् अधोलोकं शकः द्वाभ्याम् ततो द्विगुणितकालाभ्याम अवपतति, 'जं सक्के दोहि' यत् क्षेत्रम् अधः शक्रः द्वाभ्यां समयाभ्यामवपति 'तं वज्जे तीहि' तत् क्षेत्रम् बजे त्रिभिः तत् निगुणितसमयैः अवपतति तदेतदुपसंहरवि- सवत्यावे चमरस्स' सर्वस्तोकं सर्वापेक्षया अत्यल्पं चमरस्य 'अमरिंदस्स असुररणो' में लगता है । क्यों कि अधोलोकमें जाने में शक्रकी गति मन्द होती है । द्विगुणिता में प्रमाण आगे कहा जायेगा. 'सफस्स उप्पयणकाले चमरस्स य उवयणकाले एएणं दोहि वि तुल्ला' इस सूत्र पाठद्वारा! अतः 'जावतियं खेतं चमरे असुरिंदे असुरराया अहे उवयह, इगेण समएणं, तं सक्कं दोहित्ति' इस तरह ये दो चचन जानना चाहिये. चमरका उत्पतनकाल और शक्रका उत्पतनकाल ये दोनों भी तुल्य हैं। एक समप्रमें जितने क्षेत्र तक असुरेन्द्र असुरराज चमर अधः जाता है उतने हि क्षेत्र तक नीचे शक्र दो समय में जाता है। 'जं सक्के दोहि' जितने अधोलोकके क्षेत्र तक शक दो समय में जाता हैं 'तं वज्जे तीहिं उतने ही अधोलोकके क्षेत्रतक वज्र तीन समय में जाता है अर्थात् तिगुने समय में जाता हैं । इस तरह सन्वत्थोवे समय माग छ, २ए! मघामा २५ सयामा तनाति मह हाय छ. जाव. तियं खेतं चमरे अमुरिंदे असुरराया अहे उवयइ एगेणं समएणं तं सक दोडित्ति' मसुरेन्द्र मसु२००४ यभर समयमा नीटसे गतरे ४ . Wट मत नाय गमन ४२वाभा ने सभय साग छ 'जसके दो જ તને ત િશકને અલકમાં જેટલે નીચ જવાને બે સમય લાગે છે, એટલે જ नाय नपान पक्षनेत्र समय मा छ. शत 'सवत्योवे चमरस्स अमरिंदरस
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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