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________________ म. श.३ उ.२ सू.१० देगनां पुद्गलमक्षेपमतिसंहरणादिशक्तिस्वरूपनिरूपणम्४७५ असुरेन्द्रस्य असुरराजस्य 'अहे लोगकंडए ' अधोलोककण्डकम् अधोलोकगमनकालविषयः, किन्तु तस्य चमरस्य 'उडलोअकंडए' अलोककण्डकम् ऊर्चलोकगमनकालः 'संखेज्जगुणे-संख्येयगुणम्, अधोगमनकालापेक्षया द्विगुणितो वर्तते तदेवं प्रस्तुतपकरणमुपसंहरति-'एवं खलु गोयमा !' इत्यादि । हे गौतम ! एवं खलु उपर्युक्तहेतोः ' सक्केणं देविदेणं देवरण्णा' शक्रेण देवेन्द्रेण देवराजेन 'चमरे असुरिंदे असुरराया' चमरः अमुरेन्द्रः असुरराजः 'नो संचाइए' 'नो शक्तः' सोहत्यि' स्वहस्तेन 'गेण्डित्तए' ग्रहीतुम् अर्थात् शकापेक्षया चमरस्याधोलोकगमनविपये अधिकसामर्थ्यशालित्वेन शीघ्रतयाऽधोऽवपतन्तं चमरं ग्रहीतुं शक्रो नो समर्थो जातः ॥ मु० १० ॥ चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो अहोलोगकंडए' असुरेन्द्र असुरराज चमरका अधोलोक कण्डक सबकी अपेक्षा अत्यल्प है। परन्तु-उस चमर का 'उड्डलोयकंडए' उचलोककण्डक 'संखेज्जगुणं' अधोलोक गमनकालकी अपेक्षा से संख्यातगुणा-अर्थात्-द्विगुना हैं। इस प्रकार प्रस्तुत प्रकरण का उपसंहार करते हुए सूत्रकार कहते हैं-'एवं खलु गोयमा!' हे गौतम ! इस उपर्युक्त कारण से 'सक्केणं देविदेणं देवरण्णा' देवेन्द्र देवराज शक 'चमरे असुरिंदे असुरराया' असुरेन्द्र असुरराज चमर को 'साहत्यि' अपने हाथ से 'गेण्हित्तए' पकड़ने के लिये 'नो संचाइए' समर्थ नहीं हुआ। अर्थात् शक्रकी अपेक्षा चमर अधोलोक गमनके विपयमें अधिक सामर्थ्यशाली था-इसलिये शीघ्रता से अधोलोककी तरफ जाते हुए उसे पकड़ने के लिये शक समर्थ नहीं हो सका ॥ सू० १० ॥ असुररण्णो अहोलोगकंडए' असुरेन्द्र असु२२००४ यमरन मागभननुं जमान सौथा माछु छे. पर यमर्नु 'उडलोयकडए' Mals गमननु भान तना અલાક ગમનના કાળમાન કરતાં સંખ્યાતગણુ (બમણું) છે. આ રીતે તેમના વેગની सरमामय शेन वे सूत्रा२ ५.२ ४२ता ४ छ :--"एवं खलु गोयमा ! गौतम ! तर 'सक्के देविदेणं देवरपणा' हेवेन्द्र १२४ शE 'चमरे अमरिंदे असरराया' मसुरेन्द्र सुश भरने 'साहत्यि' तेन यथी। 'गेण्हित्तए नो संचाइए' ५४ाने समर्थ न भन्यो. वार्नु तात्पर्य मे छ । અલેક ગમન કરવામાં શક કરતાં ચમર વધારે શકિતશાળી (વધારે વેગવાળે) હતે. તેથી અતિશય વેગપૂર્વક અલેક ગમન કરતા ચમરને પકડવાને શક્ર સમર્થ ન હતા. સૂ.૧૦
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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