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________________ - - १३० मोः 1 चमर ! अमरेन्द्र | अमरराज ! ममायित माकयावत-तीनच चातुर्दश ! अध न मयसि, न हिते मुखमस्ति, इति कस्ता तत्रैव सिंगासनसगतो चनं परामशति तदुज्वलन्तम् , स्फुटन्तम्-तडतडन्तम् , उलासहस्राणि विनिर्मुश्चन्तम, ज्वालामाणि प्रमुभन्तम्, अनारसाम्राणि प्रविकिरन्त, मविकिरन्तम्, स्फुलिङ्गज्यालामालांसहसः चतुर्विक्षेपएिपवियातम्, अपि प्रकुर्व असुरराय एवं चयांसी) त्रिवलिवाली भृकुटि को ललाट पर चढाकर असुरेन्द्र असुरराज उस चमरको इस प्रकारसे ललकारा (हं भो चमरा! असुरिंदा! असुरराया! अपत्थियपत्थिया! जाबहीणपुण्णचाउमा अज न भवसि, न हि ते सुहमत्यि तिकटु तत्येव सोहासणवरगए चनं परामुसइ) अरे ओ असुरेन्द्र असुरराज चमर ! त क्यो व्यर्थ में अपनी मौत अपने पास घुला रहा है-यावत् मुझे ज्ञान होता है कि तू हीनपुण्य चातुर्दशिक है याद रख आज तेरा अस्तित्व तेरी कुशल नहीं है इस प्रकार कह कर वहीं पर अपने उत्तम सिंहासन पर बैठे २ शमने बन को उठाया (तं जलंत, फुडतं, तडतडतं, उक्का सहस्साई विणिमुयमाणं, जालासहस्साई पमुंचमाणं इंगालसहस्साइ पविक्खिरमाणं फुलिंगजालामालसहस्सेहिं चक्खुविक्खेवदिटिपडियाय पि पकरेमाणं' और उठाकरके उसने दीप्यमान, शन्द करते हुए, तड़तड़ अवाजवाले, हजारों उल्काओं को छोड़ने वाले, हजारों अग्नि की ज्वालाओं को प्रकट करने वाले, हजारों अंगारों को बारअसुररायं एवं बयासी) ४ाणमा ! ४२यलिया 43 वा शत प्ररि पाने हेवेन्द्र ३१२००४ यमरने से प्रभारी ५४ी -(ई भी चमरा ! अमरिंदा ! अमुरराया ! अपत्थियात्थिया ! जीव हीणपुण्णचाउदसा ! अज न भवसि, न हि ते सुहमत्थी तिकटु तत्थेव सीहासणवरगए बज परामुसई ) मरे । અસરેન્દ્ર, અસુરરાજ ચમર! તને મરવાની ઈચ્છા થઈ લાગે છે. મને લાગે છે કે તું હીનપુય ચાતુર્દર્શિક છે. યાદ રાખ, આજ તારી ખેર નથી આજ તું બચવને નથી. આ પ્રમાણે કહીને તેણે પોતાના ઉત્તમ સિંહાસન પર બેઠા બેઠા જ વ્રજીને હાથમાં ઉઠાવ્યું. (तं जलंत, फुडतं, तडतडतं,' उकासहस्साई विणिमुयमाण, जालासहस्साई मंचमाणं, इंगालसहस्साई पविक्खिरमाण२ - फुलिंगजालामालसहस्सेहि चक्ख. विक्खेनं दिपिडिघथि पि पेरमाणं') अनत परत, शहायभान, तता भवा . माने छाना, मभिना .sonalist वसावा HHHHHHHTHHTHA
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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