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________________ ३३० भगवती नरकाः संप्रायाः तथा 'सोहम्मस्स म्पस' सौधर्मस्य कल्पस्य 'अहे' अःमदेशे ' जाव ' यावत् द्वादशदेवीनग पञ्चानुचरविमानानामयमदेशाः संग्रयन्ते । गौतमः पुनः पृच्छति अस्थि भंते ! इत्यादि हे भगवन् ! अस्ति संमनति युज्यते खलु यत्र 'ईसिप्पाराप्' ईपत्माम्मारायाः 'पदवीए' पृथिव्याः 'अहे ' अधःपदेशे अमुकुमारा देवाः परिवसन्तीति किम् ? भगवनाह 'नो इण समट्टे' नायमर्थः समर्थः नेदं संभवति, ईषत् माग्नाराया अपि अत्रः - द्वितीय पृथिवी के नीचे, तृतीय पृथिवी के नीचे, चतुध पृथिवी के नीचे पंचमी पृथिवी के नीचे, छटवीं पृथिवी के नीचे भी नहीं रहते हैं । तथा इसी प्रकर से ये असुरकुमार देव 'मोहम्मस्स कप्पस्स अहे जाव' सौधर्मकल्प से लेकर पारह देवलोक, नवग्रैवेयक, पंच अनुत्तरविमान एवं सिद्ध शिला इन सप के नीचे भी नहीं रहते हैं । 'द्वादश देवलोक, नवग्रैवेयक, पंच अनुत्तर विमान एवं सिद्ध शिला' इन का ग्रहण यहां 'यावत' पद से हुआ है। अब गौतम पुनः प्रभु से पूछते हैं 'अस्थि भंते । ईसिप्पन्भाराए पुढवो अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति' हे भदंत ! यदि ये असुरकुमार देव न रत्नप्रभा पृथिवी के नीचे रहते हैं, और न शर्करा आदि पृथिवियों के नीचे हो रहते हैं, न बारह में देवलोक के, न नवग्रैवेयकोंके, न पंच अनुत्तर विमानों के नीचे ही रहते है, तब क्या ये ईपत्प्राग्भारा (सिद्धशिला) पृथिवी के नीचे रहते है ? तो इसका उत्तर देते हुए प्रभु गौतम से कहते है कि ' णो णट्टे समट्टे' हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है अर्थात् ये असुरकुमार પૂર્ણ રહેતા નથી तथा “सोहम्मस्स कप्पस्स अहे जाव" ते असुरकुमार देवा सौ. ધર્મ દેવલાકથી લઇને ખારમાં દેવલેાકની નીચે પણ રહેતા નથી, નવ ચૈવેયકાની નીચે પણ રહેતા નથી, પાંચ અનુત્તર વિમાનેાની નીચે પણ રહેતા નથી. પ્રશ્ન—જો અસુકુમાર દેવો સાતે નરકેની નીચે રહેતા નથી, ખારે દેવલેાકની નીચે રહેતા નથી, નવે ત્રૈવેયકેની નીચે રહતા નથી. પાંચે અનુત્તર વિનાની નીચે रहेता नथी तो शुंळे तेथे! “अस्थिणं भंते ! ईसिप्पन्भाराएं पुढवीए अहे परिवर्तति?" ઇષúાસારા પૃથ્વીની નીચે સિદ્ધશિલાની નીચે રહે છે? J त्यारे महावीर अनुभवाम आये छे - "जो इणद्वे समट्टे" हे गौतम ! आ અધ પણ સમથ' નથી. એટલે કે તે સિદ્ધશિલાની નીચે પણ રહેતા નથી.. ..
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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