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________________ २५४ भगवतीचे प्टयादिना परिघ्नन्ति मध्ययन्ते मकप्टकुरिसतदशामुत्पादयन्तीव 'आकविका आकर्षणविकर्पिकाम् घर्पणादिना नन्दरीरं विडम्यगन्तः 'फरेति' कुर्वन्ति हीलिता जायभाय? विकड़ि' हीलयित्या याचन आकर्षणविकर्णिकाम् 'करेगा' कृत्वा एगते एडंति एकान्ते एडयन्ति भक्षिपन्ति एडित्ता मक्षियजामेवदिसि पाउ भूया तामेव दिसि पडिगया' यामेव दिशं निर्दिश्य प्रादुर्भूतात्तामेव दिशं पतिगताः 'तएणं ते ततखलु ते 'ईसाणकप्पयासी' ईशानकल्पवासिनो 'वावे 'वहर: अनेके 'वेमाणिया' चैमानिकाः 'देवा य देवीओय देवाश देव्यश्च 'बलिचंचारायहाणिवत्यन्बएहि' बलियनाराजधानीवास्तव्यैः 'यहाई बहुभिः 'असुरकमा रेडिं' असुरकुमारः 'देवेर्टि' देवेः 'देवीटिंय देवी मिथ तामलिस' तामले 'तज्जति अंगुलि से उसे दिवा २ कर उसकी भर्त्सनाकी 'ताले ति' लकडी वगैरह से उसे खूय मारा 'परिवहें ति' बहुत धुरी उसका दशा बनाई 'पन्चति' सब तरह से उसका अपमान किया 'आकी विकङ्किं करेंति' और अपनी इच्छा के अनुसार उस मृतक दह को खूब इधर से उधर जमीन पर घसीटा 'हीलेता जाव आकर विकड्रिं करेत्ता' इस प्रकार हीलना यावत् आकर्पण विकर्पिका (घसा टना) करके 'एगते-एडति' फिर उन्होंने उस मृतक शरीर को एकान्त स्थान में ले जाकर डाल दिया। 'एडित्ता' एकान्त स्थान में डाल कर फिर वे 'जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया' असुरकुमार के देवी देवता जहाँ से आये थे वहीं पर वापिस चले गये 'तएण ते ईसाणकप्पवासी बढे वेमाणिया देवाय देवीओ' उनके चले जाने के बाद ईशान कल्पयोसी उन अनेक वैमानिक देवाने और देवियोंने 'चलिचचारायहाणिवत्यन्धएहिं बलिचंचाराजधानीके निवासी "तजति मामी साधा सीधान तनासन (ति२२४२) ४,"तालेति" 132 या तर ५५ ३८ ," परिचति" नी घet U AL, 'पन्चति" ६२ रे तेनु अपमान यु", " आरड विकड्डूि करेंति " भने ते भूताने तेनी छानुसार माम ते गमे त्यो सयो. "हीलेता जाव आकविकट्टि करता" शत डालना (4) थी बने भान ५२ ॥ विषय (सस्वानी () यन्तनी नायब तनुं अपमान रीन. "एगते पडंतितभर ને મતશરીરને એકાંત જગ્યાએ લઈ જઈને ફેંકી દઈને તે અસુરકુમાર દે અને દેવિયો 'जामेवदिसिं पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगयायाधी भाव्या हुतात्या पाछायाया गया. तएणं ते ईसाण कम्पवासी बहवे. वेमाणियां देवा य देवीओ य Ale"
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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