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________________ २४६ भगवतीले एवम् अवादिपु:-कः एप भोः ! स तामलिः बालतपस्वी स्वयं गृहीतलिया, प्राणामिक्या प्रवज्यया प्रत्रजितः, फः एप स ईशाने करपे ईशानो देवेन्द्र, देवरान इति कृत्वा तामलेः पालतपस्विनः शरीरकं हीलयन्ति, निन्दन्ति, वि सन्ति, गईन्ते, अवमन्यन्ते, तर्जयन्ति, ताडयन्ति, परिव्ययन्ते, प्रध्ययन्ते फरेमाणा मया महया सदेणं उग्धोसेमाणा उग्घोसेमाणा एवं वयासी पाद में ताम्रलिप्त नगरी के शृङ्गाटक, विक, चतुष्क, चत्वर, चतुर्मुख महापथ इन सय मार्गों में उसे खूय इधर से उधर घसीटा और इधर से उधर घसीटते हुए और २ की आवाज से यार २ इस प्रकार की घोपणा की (फेसणं भो! से तामली पालतवस्सी स्य गहियलिंगे पाणामाए पश्यनाए पन्चहए?) अरे देखो तो सही कोन तोयह बालतपस्वी तामली कि जिसने आप प्रवज्या धारण करली ओर माणामिकी प्रव्रज्या से जो प्रवजित हुआ(केस णं से ईसाणे कप्पे ईसाण देविंदे देवराया ति कह तामलिस्स घालतवस्सिस्स सरीरयं हीलोत) और ईशानकल्प में हुआ देवेन्द्र देवराज ईशान कोन ? इस प्रकार कहकर उन्होंने चालतपस्वी तामली के शरीर की निर्भत्सना की (निंदति) निंदा की (खिंसति) ये उस पर खूब खिसयाने अपना हाथ मुंह टेवा पनाकर उन्होंने उसका अपमान किया (गरिहंति) उसकी गर्दा की। (अवमन्नति) तिरस्कार किया (तज्जति) उसे भसित किया, उग्धोसेमाणा एवं बयासी] त्या२ मा तभो तामसीन शसने तालिनी नगराना શૃંગાટકે, ત્રિકા, ચતુષ્કા, ચત્વર, રાજમાર્ગ આદિ માર્ગો પર આમ તેમ ખૂબ ઢસડયું. શબને આમ તેમ ઢસડતા ઢસડતા તેમણે ઘણે મોટે અવાજે નીચે પ્રમાણે ઘોષણા पापा२ ४री- किसणं भो ! से तामली वालतवस्सी सयंगहियलिंगे पाणामाए पबज्जाए पन्चइए ?] तालिप्ती नसरीना निवासीमा! मी! ६ ४५८ આદિ ભાવથી લોકોને છેતરવા માટે પિતાની જાતે જ સાધુને વેવ સજી પ્રાણામિકી Ela Hot२ ४२ना२ तामदीना देवो प्रभाव ५ छ। केसणं से ईसाणे कप्पे ईसाणे देविदे देवराया ति कट्ठ तामलिस्स बालतबस्सिस्स सरीरयं हीलंति] શું પિતાના દંભી સાધુવેષથી તે ઈશાનદેવલોકને ઈન્દ્ર બની શકવાને સમર્થ છે? આમ हीन तेभो मासतपस्वी तामहीना शरीनी नित्सना (ति२२४२).श, [निदंति] निहारी, [खिसति तेमा सेना ५२ मत मिलया- भये भा भयोडीन तेनुं समान यु, गिरिहंति] सोनी समक्ष तनी | ४१, [अवमन्नति] अपडसना श, तिजति] माजी खाँधी थींधान तेनी असना ५२, ताले ति] डा.
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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