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________________ - - - भगवती तापनमो भाषामाणम्स' मातापपतो मम 'विहरिनए' वितु 'करपते' इति पूर्वेगान्वयः, मर्यागिमुग्यम् अर्थ म्तो प्रसार्प आतापना ग्रहीप्यामि, तथा 'उहरस वियण' पप्रापिच पारणंगि' पारणे 'पागारणभूमीओ' आतापनमिनः आतापनाप्राणस्थानात 'पनोमहिला' मत्यवता अवतीय 'सयमेव' स्वयमेव 'दाममयं पडिग्गहन दासमग प्रनिग्रहपात्र गहाय गृहीत्वा तामलितीए' ताम्रलिप्त्यां 'नगरीए' नगर्याम् 'उच्च-नीम-मज्झिमाई उच्चनीनमध्यमानि 'कुलाई कुटानि गृहाणि 'घरसमूदाणम्स' गृहसमुदानस्य अनेकयसमास्य 'भिकवायरियाए' भिक्षावर्ग या 'अडिता' भटित्वा भमित्वा 'मुदोदणं' भुदोदनं पवित्रभक्तमात्रम् 'पडिगाहेत्ता' प्रतिगृन आदाय तम् ओदनम् 'ति सस पखुत्तो' त्रिसप्तकत्वः एकविंशतिवारान् 'उदएणं' उदकेन 'पकखालेत्ता' प्रक्षाल्य 'तओपच्छा' ततःपक्षात् तदनन्तरम् आहारम् 'आहरितप' आदतुम् 'कल्पत चेमाणस्स विहरिसाए' उसने प्रव्रज्या धारण करने के बाद " में जब तक जीवित रहंगा-तप तक निरंतर छह छट्ट की तपस्या करता रहगा। दो उपवास करना इसका नाम छट्ट छट्टकी तपस्या करना है। तथा आतापना भूमिमें दोनों हाथोंको ऊँचा करके आनापना लेता रहंगा" ऐसा विचार किया इस नियम विशेपको धारण करने का मन में निश्चय किया। तथा यह भी उसने दृढ संकल्प किया कि 'छठुस्स वियणं पारणंसि आयावणभूमीओ पचोरुहित्ता सयमेव दाम मयं पडिगगह गहाय तामलिसीए नयरीए ऊच्चनीय मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता सुद्धोदणं पडिगाहेत्ता तं तिससक्खुत्तो उदएर्ण पक्खालेता तओ पच्छा आहारं आहारित्तए' जिसदिन छट के पारणा का दिन होगा उस दिन आतापनोग्रहणबाहाओ पगिज्झिय पगिझिय सुगभिमुहस्स आयारणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए" दीक्षा न ५३ थाय त्या सुधी निरत२ ७४ने पा२ કરીશ. (છઠ એટલે બે ઉપવાસ) આ રીતે છઠની તપસ્યા દરમિયાન હું બંને હાથ ઊંચા રાખીને સૂર્યની સામે આતાપન (તડકાવાળી) ભૂમિમાં બેસીને તાપના લઈશ. quी तभो मनमा मेव! ५५ निश्चय यो : "छहस्स वि य णं पारणंसि आयावणभूमीओ पच्चोरुहित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहं गहाय तामलित्तीए नयरीए उच्चनीय मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता मुधो. दणं पडिगाहित्ता तं तिसत्तक्खुत्तो उदएणं पक्खालेत्ता तओ पच्छा आहार आहरित्तए" ना पायाने पिसे मातiyat पानी भूमि ५२थी उतरी भा॥
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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