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________________ भगवतीम ५० भूतिः अनगारो माम् एवमाख्याति, भापते, मज्ञापयति, मरूपयति एवं खलु गौतम ? चमरः असुरेन्द्रः, अमरराजो महर्द्धिकः, यावत् महानुभागः स तत्र चतुस्त्रिंशद्भवनावासशतसहस्राणाम् एवं तच्चैव सर्वम्, अपरिशेषम्, भणितव्यम्, यावत्=अग्रमहिपीणाम् वक्तव्यता समाप्ता, तत्कथमेतत् भगवन् ! एवम् ? |०५ | टीका- "भगवं दोच्चे गोयमे समणं भगवं महावीरं चंदर नमस" भगवान् द्वितीयो गौतमः भ्रमणं भगवन्तं महावीरं वन्दते नमस्यति "वंदित्ता नर्मसिता" वहां आकर उन्होंने यावत् पर्युपासना करते हुए श्रमण भगवान् महावीर से इस प्रकार कहा- ( एवं खलु भंते ! मम दोच्चे गोयमे अग्निभूई अणगारे ममं एवमाक्ख) हे भदन्त ! द्वितीय गौतम अग्निभूति अनगारने मुझसे ऐसा कहा है ( भासह) ऐसा भाषित किया है, (पण्णवेइ) ऐसा जताया है ( परूवेइ) ऐसा प्ररूपा है (ए खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्डीए, जाव महाणुभागे) कि हे गौतम! असुरेन्द्र असुरराज चमर बहुत घडी ऋद्धिवाला है यावत् महा प्रभाववाला है । (सेणं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं एवं तं चैव सव्वं अपरिसेसं भाणियव्वं जावू अग्गमहिसीणं वक्तव्वया समत्ता - से कहमेयं भंते एवं ) वह ३४ चोंतीस लाख भवनवासों का एकच्छत्र अधिपति बना हुआ है, इत्यादि समस्त कथन अग्र महिषियों तकका यहां कहलेना चाहिये । तो हे भदन्त ! यह उनका कथन किस प्रकार से है ? || सू० ५ ॥ बयासी) त्यांने विधिपूर्व भडावीर भगवाननी पर्युपासना हरीने तेभवे तेभने आा प्रभाऐ उधुं- (एवं खलु भंते ! मम दोच्चे गोयमे अग्निभूइ अणगारे ममं एवमाइक्खइ) डे लहन्त । चील गणधर अग्निमृति शुगारे भने मे छे (भासइ) मेला पण्णवेइ मे मताव्यु छे भने (परूवेई ) मे अच्छे (एवं खलु गोयमा चमरे अमुरिंदे असुरराया महिडीए, जाव महाणुभागे) हे गौतम! સુરેન્દ્ર અસુરરાજ ચમર ઘણી ભારે ઋદ્ધિ, ધ્રુતિ,યશ,સુખ,ખળ અને પ્રભાવવાળા છે. ( सेणं तत्थ चोचीसाए भवणावाससयस हस्ताणं एवं तं चैव सव्वं अपरिसेसं भाणियन्त्रं जाव अग्गमहिसीणं वचच्त्रया समत्ता से कहमेयं भंते एवं ) અહીં ૩૪ચાત્રીસ લાખ ભવનાવાસાના આધિપત્યથી લઈને ચમરની પટ્ટરાણીએ પર્યન્તનું સમસ્ત કથન ત્ર ૧ થી ૪ પ્રમાણે કહેવું જોઈએ. તે હે ભદન્ત! તેમનું તે કથન शु सत्य छे ? ॥ सु. ५॥
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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