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________________ ८६६ ममवतीयले कर्तव्या 'दिशाकुमाराण' दिपकुमाराणामुपरि दश देवा आपिपस्वादिक धन्तो विहरन्ति, ता 'अमियगई ' अमितगतिः 'अमियवाटणे' अमितमानपति द्वी दिक्कुमारेन्द्री, तयोलोकपालानाह-'तरियगई स्वरितगतिः, 'विपई' सिमगतिः, 'सीहगई' शीघ्रगति', 'सीह विक्कमगई' शीप्रविक्रमगतिध, एव 'वाउकुमाराण' वायुकुमाराणामुपरि दा देवा भाषिपस्यादिक इन्तो विहरन्ति, तत्र 'पेलय' घेलम्ब , 'पमनण' पमअनति दी वायुरुमारेनौ तयोर्लोकपालानार-'काल' याल , 'महापास' महाकाला, 'अजण ' अञ्जना रहते है 'दिसाकुमाराण' दिपकुमारोंके ऊपर ये दशदेव अपना अधि पतिस्थ आदि करते रहते है वे इस प्रकार से है 'अमिगगई, अमि यधारणे' अमितगति और अमितघारन ये दो तो दिक्कुमारकि इन्द्र हैं तथा 'तुरियगई, खिप्पगई, मीरगई, सीहविक्कमगई' त्वरितगति, शीघ्रगति और जीविक्रमगति ये प्यार लोकपाल है। इस प्रकार अमितगति इन्द्र और उसके ये चार लोकपाल एव अमि तवाहन इन्द्र और उसके इसी नामके चारलोकपाल मिलकर दश देव दिपकुमारों के ऊपर सदा अपना अधिपतित्व आदि करते रहते ६ । 'घाउकुमाराण घेलय पभजण' घायकुमारोंके ऊपर अपना आधि पत्य रखनेवाले ये दसदेव है-येलम्य और प्रभंजन ये दोतो इनके इन्द्र है तथा इनके 'काल महाकाल मजण रिह काल कहाकाल अजन और रिष्ट ये चार लोकपाल है। इस प्रकार वेलम्ब इन्द्र भोर इमके चार लोकपाल, तथा मर्मजन इन्द्र और इसके चार लोकपाल मिलकर दश देव यामुकुमारोंके ऊपर सदा अपना प्रभुत्व आदि दिसाकुमाराण' मा ५२ नायना इस वान विपतित्व, ltanan'भसियगई, अमियवाहणे' मभितशति बने मितवान, तमना -दी) तया 'सुरियगई, सिप्पगई, सीदगई। सीषिक्फमगई। सरितगति, Mad, સિકગતિ અને સિ કવિમિગતિ નામના તેમના વાર, ચાર લોકપાલો છે આ રીતે અમિત ગતિ નામનો ઇન્દ્ર અને તેને માર લોકપાલો કિngમારો પર અધિપત્વિ આઢિ ભેગવે છે. 'बाउकमाराण' वायुमाश २ नायना ध्यदेवोनु मधिपति 38 हैबेलाय. पमजण' मगन सकन तभना की तमन्ने सन्दना "काल. मायाल, अजण, द्धि' are, Hare, AND भतरनाभना शार. ચાર લોકપાલો છે એ રીતે બે ઈનો આઠ લોકપાલો મળીને કુલ દસ દેવા તેમના
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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