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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३ उ ७८ ५ वैश्रमण नामफ्लोफपालस्वरूपनिरूपणम् ८४३ एव तयेर 'सीसागराइवा' सीसकाकरा इतिवा, "हिरण्णागराइवा' हिरण्याफरा इति था, 'मुवण्णागराइवा' मुवर्णाकरा इति वा 'रयणागराडवा' रत्नाकरा इसि वा, 'वइगराइवा' बजाकरा इति वा हीरकाफरा इत्यर्थ 'वमुहाराइया' वसुधारा तीर्थकर जन्मनादिषु तया भावितात्माऽनगारस्य पारणादिषु गमनात् द्रव्यदृष्टय इति वा, 'हिरण्णवासावा' हिरण्यवर्ण इति वा. हिरण्य रूप्यम् 'सुवष्णवासाचा' सुवर्णवर्पा इतिवा, 'रयणवासाइवा' रत्नवाइतिवा 'वडरावामाइवा' वनवर्षा तिवा, 'आमरणवासाइवा' आमरणवा इति वा, 'पचवासाइवा' पप्रवर्ण इति वा, 'पुष्फवामाइवा' पुष्पपर्ण इति या 'फलवासाया' फलबर्ग इति वा, 'बीजवासाइवा' बीजवर्षा इति वा, 'मल्लवामाावा' माल्यवर्पा इति वा, माल्य, प्रयितपुष्पागि तद्वर्षा त्यय , 'वण्णवासाउया' वर्णवर्ग इति वा, वर्णचन्दनम् नवर्षा इत्यर्थ , प्रकारसे 'मीसागराठ वा' मीमाकी म्बानें, 'हिरपणागराइ या' हिरण्य चादीकी ग्वाने, 'सुवण्णागराइ वा' सोनेकी ग्वाने, 'रयणागराइ चा, रत्नोंकी खाने , 'घहरागराठ वा, वसरस्नकी हीराकी ग्वाने , 'घसुहारा' वसुधरा तीथकर प्रभुके जन्मकल्याणक आदिके समय में, तथा मावि तात्मा अनगारकी पारणा आदिके समयमें आफाश से द्रष्पवृष्टि, "हिरण्णवासा वा' चादी की वो, 'सुवण्णयासाइ वा सोनेकी पर्या, 'रयणवासार या' रत्नों की वर्षा, 'वहराघोसाया' हीराकी वर्षा, आमरणवामाइ घा, आपणोंकी वर्षा, 'पसवासाइ वा' पोंकी वर्षा, पुप्फवासाइ चा, अधिचपुप्पॉफी वर्षा, फलघासाइ घा, फलोधी घर्षा, 'पीयवासाइ वा' यीजोंकी थर्पा 'मल्लवासा वा' सूत्रमें ग्थे हुए पुप्पोकी मालाओंकी घर्पा, चण्णवामाइ घा, घर्ण चन्दनकी घर्षा, पुण्ण सीसागराइ या' सीसानी भाले, 'हिरण्णागराइ या' याही भाले, 'सवण्णागराड या' सानानी माले, 'रयणागरा वा' सननी माले, 'महरागराइ घा' qाननी Huी माया, 'ममहारा! पसघास- तय ४२ समवानना सभा प्रसने तया ભાવિતાત્મા અણગરના પરિણા આદિને સમયે આકાશમાંથી થતી દ્રવ્યવષ્ટિ हिरणवासाइ वा' यादी al, 'मुवण्णवासाइ पा' सोनानी arl' 'रयणवासाह वा' रत्नानी पर्चा, बाराबासाह पा' हीरानी पक्ष भामरणयासाइ वा' नाभूषः। ॥ वर्षा पचनासाह था' पानना ql, 'पुप्फवासा मा चित्त पुण्यानी पथ, 'फलवासाइ वा' गाना af, 'पीयवासाइ या बानी वर्षा 'मल्लवासाइ वा' पुपानी भाजापानी l 'अण्णमासार या वर्ष-यननी ५l 'चुण्णमामाइ
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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