SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 718
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६९६ स्थानानसूत्रे जात्र किंपुरिसे रहाणियाहिवई महारिट्टे णहाणियाहिवई, गीयजसे गंधवाणियाहिवई | धरण णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररणो सन अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहापायाणिए जाब गंध वाणिए । रुदसेणे पायत्ताणियाहिवई जाव आणंदे रहाणियाहिवई, नंदणे नट्टाणियाहिवई, तेतली गंधवाणियाहिवई । भूतानंदस्त सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा - पायत्चाणिए जाव गंधव्वाणिए । दक्खे पायत्ताणियाहिवई जाव णंदुत्तरे रहाणियाहिबई, रतो णहाणिया हिवई, माणसे गंधवाणियाहिबई | एवं जाव घोसमहाघोसाणं जैयवं । सकस्स णं देविंदर देवरलो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता तं जहा -- पायत्ताणिए जाव गंधवाणिए । हरिणेगमेसी पायत्ताणियाहिवई जाव माढरे रहानिया हिवई, सेए णहाणियाहिवई, तुंबुरू गंधवाणियाहिवई । ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरशो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णसा, तं जहा - पायत्ताणिए जाव गंधवाणि लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवई जाव महासेए जहाणियाहिवई, रए गंधवाणियाहिवई, सेमं जहा पंचमट्ठाणे एवं जात्र अच्चुयस्स वि णेयां ॥ सू० ४३ ॥ छाया - चमरस्य खलु असुरेन्द्रस्य असुरकुमारराजस्य सप्त अनीकानि सप्त अनीकाधिपतयः प्रतप्ताः, तद्यथा- पादातानीकम् १, पीठानीकम् २, कुञ्जरानीकम् ३, महिपानीकम् ४, स्थानीकम् ५, नाटयानीकम् ६, गन्धर्वानीकम् ७| द्रुमः पादातानीकाधिपतिः, एवं यथा पश्चमस्थाने यावत् किम्भरी स्थानीकाधिपतिः, रिष्टो नापानीकाधिपतिः गीत रतिर्गन्धर्वानीकाधिपति । वळेः खलु वैरोचनेन्द्रस्य वैरोचनराजस्य सप्त अनीकानि सप्तानीकाधिपतयः प्रज्ञताः, तद्यथा - पादातानीकं "
SR No.009310
Book TitleSthanang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages773
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size43 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy